भाटापारा- एक्सप्रेस का किराया लेकर लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति अब रेल यात्रियों को भारी लगने लगी है। यही वजह है कि 5 जोड़ी लोकल ट्रेनों में बीते 9 दिन में, लगभग 6500 यात्रियों ने यात्रा की। 12 से 20 फरवरी तक की इस सेवा में 15 और 18 फरवरी ही ऐसी तारीख रही, जब हजार से ज्यादा यात्रियों ने यात्रा की। अब यह संख्या 500 से आगे नहीं बढ़ रही हैं।
आपदा को कमाई का अवसर जिस तरह रेलवे ने बनाया हुआ है उसकी मिसाल फिलहाल तो कहीं दिखाई नहीं दे रही है क्योंकि सामान्य एक्सप्रेस को स्पेशल एक्सप्रेस और लोकल को स्पेशल लोकल बनाकर किराया दर जिस तरह दोगुनी की जा चुकी है उससे अब यात्रियों ने दूरी बनानी चालू कर दी है। केवल ऐसे ही लोग यात्रा कर रहे हैं, जिनके पास दूसरा कोई साधन नहीं है या फिर ऐसे लोग ही यात्रा कर रहे हैं जो समय बचाना चाहते हैं।

दौर अब गिरावट का
10 माह से बंद रेल सेवा के 11 वें महीने में चालू होने के बाद रेल यात्रियों का एक बड़ा वर्ग खुश था कि लोकल ट्रेनों के फिर से परिचालन से रोजी-रोटी पर छाया संकट दूर किया जा सकेगा लेकिन महज 9 दिन के बाद इस पर पानी फिरता नजर आने लगा है क्योंकि लोकल ट्रेनों में यात्रियों की संख्या अब गिरावट के दौर से गुजरने लगी है। 9 दिन के परिचालन में केवल 15 और 18 फरवरी ऐसी तारीखें थी जब संख्या हजार से ज्यादा रही। अब यह सैकड़ा पर आ चुकी है।

हताश कर रहा किराया
रायपुर और बिलासपुर के बीच चल रही 5 जोड़ी लोकल ट्रेनों को स्पेशल लोकल बनाकर जिस तरह दोगुना किराया लिया जा रहा है उससे निराशा के साथ नाराजगी भी देखी जा रही है क्योंकि स्पेशल के नाम पर कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी गई है। सुनवाई कहीं है नहीं, इसलिए अब इस यात्रा से भी दूरी बनाई जाने लगी है। यह दूरी घटती संख्या के रूप में दिखाई दे रही है।

इस पर मौन
नौकरी और व्यवसाय के सिलसिले में यात्रियों का एक बड़ा वर्ग राजधानी और न्यायधानी के लिए रेल यात्रा करता है। यह वर्ग उम्मीद लगाए बैठा था कि लोकल ट्रेनों के फिर से परिचालन के बाद मासिक पास की सुविधा बहाल हो सकेगी लेकिन रेलवे ने इस सवाल से खुद को बेहद दूर कर रखा है, लिहाजा ऐसे यात्रियों ने भी लोकल से दूरी का बनाना चालू कर दिया है।

हाल है बेहाल
12 फरवरी से 20 फरवरी तक स्पेशल लोकल ट्रेनों ने निराश ही किया है। रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 9 दिन की इस यात्रा में लगभग 6500 यात्रियों ने यात्रा की। एवज में मिले लगभग 1 लाख 18 हजार 730 रूपए। इसमें 15 फरवरी और 18 फरवरी की तारीखों का बड़ा योगदान रहा, जब इन दोनों दिन क्रमशः 3000 और 1893 यात्रियों ने यात्रा की। अब यह संख्या 400 पर आकर रुक चुकी है।