740 मृत किसान तो योजना का लाभ ले ही रहे थे। साथ ही 67 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अलग-अलग नाम, पता, आधार और बैंक खाते से रजिस्ट्रेशन करा लिया और विभागीय मिलीभगत से इनका सत्यापन भी हो गया। इसके बाद इन्हें दोहरा लाभ मिलने लगा। एक ही किसान के अलग-अलग बैंक खातों में दो किश्तें पहुंचने लगीं।

नई दिल्ली/लखनऊ- उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले में एक तरफ हजारों किसान सम्मान निधि पाने के लिए सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे है। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग 740 मृत किसानों के खाते में सम्मान निधि भेज रहा है।

बलरामपुर में करीब 2.76 लाख किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ दिया जाना है, जिसमें से करीब 2.53 लाख किसानों को सम्मान निधि दिए जाने का दावा कृषि विभाग कर रहा है। लेकिन इस सम्मान निधि का लाभ ‘मृतक’ भी ले रहे हैं, वो भी एक दो नहीं करीब 740 मृत किसान। विभाग की मानें तो ये संख्या और बढ़ सकती है। मामले का खुलासा तब हुआ जब शासन में की गई एक शिकायत के बाद विभाग ने जांच शुरू की।

740 मृत किसान तो योजना का लाभ ले ही रहे थे। साथ ही 67 किसान ऐसे हैं, जिन्होंने अलग-अलग नाम, पता, आधार और बैंक खाते से रजिस्ट्रेशन करा लिया और विभागीय मिलीभगत से इनका सत्यापन भी हो गया। इसके बाद इन्हें दोहरा लाभ मिलने लगा। एक ही किसान के अलग-अलग बैंक खातों में दो किश्तें पहुंचने लगीं। जांच में यह बात भी सामने आई कि करीब 2 हजार किसान ऐसे हैं, जिन्होंने फर्जी आवेदन कर दिया और उनके बैंक खाते और आधार कार्ड मिलान नहीं हो रहा।

किसानों के बीच पीएम किसान के नाम से मशहूर इस योजना की शुरुआत फरवरी 2019 में की गई थी। इसके तहत हर साल देश के प्रत्येक किसान के बैंक खाते में छह हजार रुपये का भुगतान तीन किस्तों में किया जाता है। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद विभाग किसानों को ही दोषी बताकर अपना पल्ला झाड़ रहा है।

मामले में विभाग ने बैंकों को किसानों से सम्मान राशि के वसूली की जिम्मेदारी दी है। मामले पर कृषि उपनिदेशक डॉक्टर प्रभाकर सिंह का कहना है कि यदि मृत किसानों के वारिस पैसा नहीं लौटाएंगे तो उनपर एफआईआर दर्ज कर राजस्व वसूली की तरह कार्रवाई की जाएगी।

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