
कानपुर के बिकरू गांव में मुठभेड़ के दौरान आठ पुलिसकर्मियों की दर्दनाक मौत के बाद मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की तलाश में पुलिस की दर्जनों टीमें लगाई गई हैं, सैकड़ों फ़ोन नंबर्स को सर्विलांस पर लगाया गया है और कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया है लेकिन विकास दुबे का सुराग पुलिस को अभी तक नहीं मिल सका है.
घटना के एक दिन बाद ही यानी शनिवार को ही पुलिस ने बिकरू गांव को छावनी में तब्दील कर दिया और गांव में किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई.
दोपहर बाद उनके आलीशान घर में मौजूद लोगों को बाहर निकालकर पूरा मकान ध्वस्त कर दिया गया.
यही नहीं, घर के बाहर खड़ी कई महंगी गाड़ियों को भी नष्ट कर दिया गया. इस ध्वस्तीकरण में उसी जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया जिससे गुरुवार रात को विकास दुबे को गिरफ़्तार करने आ रही पुलिस टीम का कथित तौर पर रास्ता रोका गया था.

किस आधार पर तोड़ा गया घर?
विकास दुबे का यह पैतृक घर किस वजह से तोड़ा गया, क्या मकान अवैध तरीक़े से बना था, क्या मकान विकास दुबे के ही नाम पर है और उससे पहले उसे कोई क़ानूनी नोटिस दिया गया था, क्या उसे तोड़ने का कोर्ट का कोई आदेश था, मकान तोड़ने का क्या कोई क़ानूनी प्रावधान है, जैसे सवाल उसके बाद से ही उठने शुरू हो गए हैं?