रायपुर- कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए केंद्रीय आयुष मंत्रालय की एडवाइजरी के बाद आंवला सिर चढ़कर बोल रहा है। प्रदेश में उत्पादन और मांग के बीच अंतर की बढ़ती खाई को पाटने के लिए मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से वन औषधि बाजार की मांग पूरी की जा रही है। लेकिन यह किया जाना आंवला की कीमत को पहली बार 11,000 से 11,500 रुपए की नई ऊंचाई पर पहुंचा चुका है।
वन औषधि बाजार इस बार तेजी से तेजी की राह पर चलने लगा है। शायद ही ऐसी कोई वन औषधि होगी जिसमें तेजी ना आई हो। लेकिन आंवला में आ रही बढ़त से यह बाजार हैरत में आ चुका है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की सलाह में कोरोना से बचाव के लिए आंवला का सेवन लाभदायक और असर कारक माना गया है। लिहाजा इसकी कीमत और मांग दोनों में अप्रत्याशित वृद्धि आ चुकी है। मांग की स्थितियां इस समय ऐसी है कि प्रदेश में उत्पादन कमजोर होता देखकर अब मध्य प्रदेश से मांग की जाने लगी है। ऐसी स्थितियों में तेजी आने वाले दिनों में भी बनी रहने की पूरी आशंका है।
पहली बार 11,000 पार
औषधिय गुणों से भरपूर आंवला वैसे भी औषधि बाजार में पहली मांग में रहा है। इसके अलावा पान मसाला दुकानें भी मांग करती रही है। कोरोना काल के पहले तक मांग की आपूर्ति स्थानीय जंगलों से मिलने वाले आंवले से पूरी की जाती थी। मांग बढ़ने पर उत्तर प्रदेश के शंकरगढ़ से बड़े आंवले मंगाए जाते थे लेकिन रेल सेवाएं बंद होने के बाद मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से इसकी आपूर्ति की जा रही है। सड़क परिवहन महंगा होने से कीमत पहली बार 11,000 पार करते हुए 11,500 रुपए क्विंटल पर पहुंच चुकी है।
बैद्यनाथ और ऊंझा ने दिखाई रुचि
वन औषधि बाजार की माने तो छत्तीसगढ़ के मरवाही, पेंड्रा और गौरेला के साथ कटघोरा के जंगलों में मिलने वाला आंवला की खरीदी को पहली प्राथमिकता और अच्छी कीमत मिलती है। भरपूर गुणों की वजह से इस बार बैद्यनाथ और ऊंझा जैसी वन औषधि बनाने वाली दिग्गज कंपनियां इन क्षेत्रों के आंवला की खरीदी को लेकर दिलचस्पी दिखा रही हैं। इस वजह से भी मांग और कीमत दोनों बढ़ चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश की छोटी इकाइयां भी मांग अपने उत्पादन के स्तर पर करने लगी है।
घट रहे जंगल, बढ़ रही मांग
प्रदेश के जंगलों में आंवला के वृक्षों की कमी की बात से अब वन विभाग को भी इंकार नहीं है। इसके लिए सही वातावरण और अनुकूल जलवायु के साथ सही मिट्टी का भी होना जरूरी है। औषधीय गुणों की मानक मात्रा के लिए पेंड्रा, गौरेला, मरवाही और कटघोरा के वन क्षेत्र कोई ही सही माना गया है। इसके अलावा पौधरोपण के लिए पौधे उपलब्ध तो होते हैं लेकिन रुझान अभी तक नहीं बढ़ाया जा सका है।
“कोरोना काल में जिन वन औषधि के साथ को सही माना गया है उसमें आंवला भी शामिल है। इस बार उत्पादन वैसे भी कमजोर है। उपलब्धता केवल कटघोरा क्षेत्र से ही हो रही है इसलिए मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से आपूर्ति बढ़ाई जा रही है। परिवहन व्यय बढ़ने से भाव 11,000 से 11,500 रुपए क्विंटल पर आ चुका है।”
सुभाष अग्रवाल,
संचालक, एसपी इंडस्ट्री, रायपुर