रायपुर- बड़ी सुविधा। कपड़ों के रंग और डिजाइन से मिलते- जुलते मास्क अब ब्रांडेड शर्ट पैंट, जैकेट, सलवार सूट और साड़ियों के साथ आने लगे हैं। अभी भी मास्क ही वैक्सीन है, सूक्ति वाक्य बन चुके इस वाक्य को जिस तेजी से गारमेंट उद्योग अपना रहा है वह सुखद बदलाव का संदेश दे रहा है। अच्छी बात यह है कि कपड़ों की खरीदी में अब उपभोक्ता भी ऐसे ही कपड़ों को प्राथमिकता दे रहा है।
कोरोना काल के चलते दिनों के बीच तेजी से बदल रही जीवन शैली में भोजन और सेहत को लेकर बढ़ी जागरूकता विस्तार लेने लगी है। अब यह जागरूकता कपड़ा बाजार में दिखाई दे रही है जहां ऐसे कपड़ों की मांग और खरीदी को प्राथमिकता दी जा रही है जिनमे मास्क भी मिल रहे हैं। रेडीमेड परिधान बाजार में यह तेजी से दिखाई दे रहा है जहां कलर और डिजाइन से मिलते जुलते डिजाइनर मास्क साथ में मिल रहे हैं। अच्छी बात यह है कि इसके लिए किसी किस्म का अतिरिक्त शुल्क भी नहीं जोड़ा गया है।

आया फैशन में
मैचिंग कलर और डिजाइन से पूरी तरह मिलते -जुलते ऐसे मास्क सबसे पहले सलवार सूट में आए। स्वीकार्यता ने जैसी तेजी ली उसके बाद यह साड़ी बाजार में प्रवेश कर गया। यानी अब साड़ियों से मैच करते मास्क इनके साथ इनके भी पैकिंग में आने लगे हैं। महिला परिधान के बाद अब ऐसे मास्क पैंट शर्ट और जैकेट के साथ भी मिलने लगे हैं। याने मास्क अब फैशन के क्षेत्र में भी पहुंच बना चुका है।

यहां से आ रहे
कपड़ा उद्योग के लिए गुजरात का सूरत, अहमदाबाद, महाराष्ट्र का मुंबई, मध्य प्रदेश का इंदौर और पश्चिम बंगाल का कोलकाता हमेशा से जाना जाता रहा है। यहां के उद्योगों में पहुंच रहे ऑर्डर में ऐसे परिधान की मांग सबसे ज्यादा है जिनमें मैचिंग और डिजाइन से मिलते-जुलते मास्क मिल रहे हैं। लिहाजा अब उद्योगों में मांग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। और पैकिंग में भेजे जाने लगे हैं डिजाइनर मास्क।

बना दैनिक जीवन का हिस्सा
कपड़ा बाजार के साथ ऐसे शोरूम जिनमें ब्रांडेड कंपनियों की मजबूत हिस्सेदारी है वहां काउंटर में ऐसे ही कपड़े पहले दिखाए जा रहे हैं जिनमें मैचिंग और डिजाइनर मास्क साथ में होते हैं। प्रतिसाद भी ज्यादा मिल रहा है। जिस तरह खरीदी में वरीयता दी जा रही है वह संकेत दे रहा है कि अब मास्क दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है। यह इस बात से भी प्रमाणित होता है कि हर उपभोक्ता सामग्री बेचने वाले काउंटर तक इसकी पहुंच हो चुकी है।