डेयरी कॉलेज के साइंटिस्ट देंगे खोवा आधारित मिठाई बनाने का प्रशिक्षण
बलौदाबाजार/रायपुर- दूध उत्पादक अब दूध पाउडर बनाना भी सीखेंगे। यह भी सिखाया जाएगा कि खोवा आधारित, मिठाईयां कैसे बनाई जाए। पशु चिकित्सा विभाग यह योजना लेकर मवेशी पालकों तक पहुंचने की तैयारी कर रहा है। कोरोना कॉल की वजह से लॉकडाउन के बाद स्थितियां सामान्य होने पर इस पर काम करने का विचार किया जा रहा है।

मिठाई दुकानें बंद। होटलों में लगा ताला। ढाबों और स्ट्रीट टी सेंटर को खोले जाने पर प्रतिबंध के बाद जिले के दूध कारोबारी बेतरह परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इसकी बानगी जिले में सबसे ज्यादा उत्पादन वाला भाटापारा ब्लॉक में बीते 3 दिनों के दौरान दूध से सस्ती दर पर पनीर बनाकर बेचने के रूप में मिल चुकी है। संकट, सांसत और नुकसान की जानकारी पशु चिकित्सा विभाग तक पहुंचने के बाद आखिरकार ऐसी योजना अमल में लाए जाने का विचार अंतिम स्तर पर पहुंच चुका है जिसकी मदद से ऐसी स्थितियों के आने पर नुकसान से बचा जा सकेगा।

इसलिए योजना
प्रदेश में जिले को दूध उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी जिला होने की पहचान मिल चुकी है। जिसके बाद 65 से 70 हजार लीटर प्रतिदिन उत्पादन वाला यह जिला सामान्य दिनों में भी सरप्लस मिल्क प्रोडक्शन वाला जिला माना जाने लगा है। लेकिन वर्तमान में कोरोना संक्रमण के दौरान यह क्षेत्र भी बाजार संकट से दो-चार हो रहा है क्योंकि खरीदी करने वाली सभी बड़ी संस्थानें बंद है। ऐसे में प्रोडक्शन मैनेजमेंट चैलेंज के रूप में सामने हैं।

देंगे इसकी ट्रेनिंग
स्थितियों को देखते हुए जो योजना तैयार हो रही है उसके अनुसार जिले के दूध उत्पादकों को मिल्क पाउडर निर्माण की तकनीक सिखाने की योजना है। तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से यह योजना दूध उत्पादकों तक पहुंचेगी। साथ ही इन्हें मिठाई बनाने का प्रशिक्षण और बाजार की जानकारी भी दिए जाने की योजना है। इससे न केवल मिठाई बाजार में पकड़ बनाई जा सकेगी बल्कि दूध पाउडर उत्पादन से किराना बाजार में उपस्थिति भी दिखाई देगी।

मदद के लिए यह भी तैयार
दूध उत्पादकों की परेशानी और हो रहे नुकसान के बाद कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एंड हेड डॉ बीके गोयल भी मदद के रूप में प्रशिक्षण देने के लिए तैयार हैं। वह दूध उत्पादकों को खोवा आधारित मिठाई निर्माण की तकनीक और सुरक्षित रखने की ट्रेनिंग देंगे। खोवा आधारित मिठाई की ट्रेनिंग वे इसलिए देना चाहते हैं क्योंकि खोवा से बनी मिठाईयों की सेल्फ लाइफ ज्यादा दिनों की होती है।

होगा यह लाभ
दूध पाउडर बनाने की यह तकनीक सीख जाने के बाद दूध उत्पादक प्रतिकूल परिस्थितियों में लंबे समय तक गुणवत्ता रखने वाला मिल्क पाउडर बनाकर होम डिलीवरी की छूट का लाभ उठा सकेंगे तो खोवा आधारित मिठाईयां बनाना सीखने के बाद भविष्य में खुद का कारोबार खड़ा करने में भी मदद मिलेगी। कुल मिलाकर पहली बार दूध उत्पादकों के लिए दो विभाग जिस तरह की योजना बना रहा है उसके दूरगामी लाभदायक परिणाम हासिल होंगे।
“स्थितियां सामान्य होने पर दूध उत्पादकों को प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान मिल्क मैनेजमेंट के लिए सही प्रशिक्षण दिया जाने की योजना है। इसमें मिल्क प्रोडक्ट ही मुख्य होंगे।”
डॉ सीके पांडे
उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, बलौदा बाजार
“दूध उत्पादन के क्षेत्र में राज्य सरप्लस स्थिति में आ चुका है इसलिए मिल्क पाउडर या खोवा आधारित मिठाईयां बनाने की तकनीक सिखाई जाने की जरूरत है।”
डॉ बीके गोयल
प्रोफेसर एंड हेड, कॉलेज आफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी, रायपुर