नईदिल्ली- रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार करने के 20 साल पुराने एक मामले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली और दो अन्य को अदालत ने दोषी ठहराया है। रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार का सनसनीखेज खुलासा न्यूज पोर्टल तहलका ने किया था। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने जया जेटली और पार्टी में उनके पूर्व सहयोगी गोपाल पछेरवाल एवं मेजर जनरल (अवकाश प्राप्त) एसपी मुरगई को भ्रष्टचार और आपराधिक साजिश का दोषी करार दिया। उल्लेखनीय है कि तहलका ने ‘ ऑपरेशन वेस्टएंड’ नाम से स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसका प्रसारण जनवरी 2001 में किया था। आरोप था कि सेना को थर्मल इमेजर की आपूर्ति करने के लिए संदिग्ध कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में आए पत्रकार से अभियुक्तों ने रिश्वत स्वीकार की थी। यह बैठक तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के सरकारी आवास पर हुई थी। अदालत द्वारा 21 जुलाई को सुनाए गए फैसले में कहा कि जेटली ने संदिग्ध कंपनी वेस्टेंड इंटटरनेशनल के प्रतिनिधि मैथ्यू सैम्युअल से दो लाख रुपए गैर कानूनी तरीके से लिए थे जबकि मुरगई को 20 हजार रुपए मिले।

तीनों आरोपी के साथ सुरेंद्र कुमार सुरेखा आपराधिक साजिश के मामले में पक्षकार थे, लेकिन सुरेखा बाद में सरकारी गवाह बन गए। अदालत ने तीनों आरोपियों- जेटली पछेरवाल और मुरगई- को आपराधिक साजिश (भारतीय दंड संहिता की धारा-120 बी) और भ्रष्टाचार निरोधी कानून की धारा-9 (लोकसेवकों पर निजी प्रभाव का इस्तेमाल करने के लिए घूस लेना) के तहत दोषी करार दिया। अदालत ने सजा पर बहस करने के लिए 29 जुलाई की तरीख तय की है।अदालत ने कहा कि अभियोग पक्ष द्वारा मुहैया कराए गए सबूत से यह साबित होता है कि 25 दिसंबर 2000 को होटल के कमरे में हुई बैठक में सुरेखा और मुरगई ने सैम्युअल को रक्षा मंत्रालय से उसकी कंपनी द्वारा निर्मित उत्पाद के मूल्यांकन के लिए पत्र जारी करवाने का भरोसा दिया था। इसके साथ ही जया जेटली के साथ उसकी बैठक की व्यवस्था की ताकि राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त हो सके। अदालत ने कहा कि यह सहमति बनी कि सैम्युअल सुरेखा और मुरगई को एक-एक लाख रुपए देगा जबकि इसके लिए जेटली को दो लाख रुपए की राशि दी जाएगी।

अदालत ने कहा- ” भ्रष्टाचार और व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल संबंधित अधिकारियों पर कर गैर कानूनी तरीके से संबंधित उत्पाद के लिए मूल्यांकन पत्र हासिल करने के लिए उनके बीच समझौता हुआ। ”उल्लेखनीय है कि फर्नांडिस की करीबी सहयोगी रहीं जेटली ने भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इस मामले में वर्ष 2006 में आरोप पत्र दाखिल किया गया और वर्ष 2012 में आरोप तय किए गए।

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