भाटापारा- कांटे की टक्कर के बीच आखिरकार रंजीत दावानी ने पोहा मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया। उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार राजेश थारानी को 40 मतों से पराजित किया। जीत के बाद उन्होंने सभी सहयोगियों के सहयोग के लिए आभार जताया और वरिष्ठ सदस्यों से मार्गदर्शन देते रहने का आग्रह किया।
पोहा मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव वैसे तो हमेशा से सर्वसम्मति से होता रहा है लेकिन बीते चुनाव में ऐसा नहीं हो पाया और राजेश थारानी जीते लेकिन 2 साल का कार्यकाल पूरा करने के बीच जैसी स्थितियां बनी उसके बाद बदलाव की आहट तब सुनाई दी जब एसोसिएशन की कमान युवाओं के हाथों में दिए जाने की चर्चा शुरू हुई। बदलाव की इस बयार ने तब और जोर पकड़ी जब करोना काल के बीच बड़े खरीददार राज्य हाथ से निकलते गए। रिकार्ड उत्पादन करने वाला यह उद्योग नए खरीददार राज्य की तलाश में जुटा दिखाई तो दिया लेकिन सफलता हाथ नहीं आई। इस तरह की बातों के बीच युवा मतदाता बदलाव की चर्चा करता रहा और आखिरकार यह 24 अगस्त की शाम उस वक्त सुखद परिणाम के रूप में आया जब रंजीत दावानी ने अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में 19 मतों से अपने निकटतम प्रत्याशी राजेश थारानी को शिकस्त दी।
शत प्रतिशत मतदान
140 सदस्यों वाले पोहा मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए 24 अगस्त को मतदान हुए। दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान के तुरंत बाद मतों की गिनती शुरू हुई। परिणाम की घोषणा करते हुए चुनाव अधिकारियों की टीम ने जो जानकारी दी उसके मुताबिक 140 मतों में से रंजीत दावानी को 90 मत मिले जबकि उनके निकटतम प्रत्याशी राजेश थारानी को 50 मतों से संतोष करना पड़ा। इस तरह 40 मतों से रंजीत दावानी को विजयीघोषित कर दिया गया।
कार्यकारिणी का गठन होगा जल्द
अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी हासिल कर लेने के बाद अब श्री दावानी को अपनी नई कार्यकारिणी का गठन करना होगा। इसमें उपाध्यक्ष, सचिव, सह सचिव, कोषाध्यक्ष और कार्यकारिणी सदस्यों के नाम शामिल करने होंगे। इसे उन्हें जल्द करना होगा इसलिए अगले 1 या 2 दिन के भीतर फैसला लिए जाने के संकेत हैं। वैसे एक बात तो जरूर है कि अपने 2 साल के कार्यकाल के लिए नई कार्यकारणी का गठन उन्हें बेहद गंभीरता के साथ विचार करने के बाद ही करना होगा।
यह चुनौतियां होंगी सामने
पोहा मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लेने के बाद रंजीत दावानी के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने जो होगी वह है हाथ से निकल चुके बड़े उपभोक्ता राज्यों को फिर से वापस लाने का क्योंकि इस काम में सफलता के बाद ही यह उद्योग अपनी पूरी गति पकड़ पाएगा। नए बाजार की तलाश भी करनी होगी क्योंकि प्रतिस्पर्धा मैं अपने आप को मजबूती से बाजार में खड़ा रखना है। इसके अलावा शहर के उद्योग को पोहा हब बनवाने के लिए भी प्रयास करने होंगे जिससे उद्योग का दर्जा मिल सकेगा और दूसरी शासकीय योजनाओं का लाभ मिलेगा। यह मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ी जरूरत है।