भाटापारा- साल था 2012, जब पूरे राज्य में जर्दायुक्त गुटखा पर सख्ती के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया। अब है 2021। नौवां साल चालू हो चुका है लेकिन ऐसे गुटखा का उत्पादन ना बंद हुआ है ना विक्रय पर रोक लगाई जा सकी है। लॉकडाउन के दिनों में भी यह बनता और बिकता रहा। कार्यवाही के अभाव में अब एक ऐसे ही जर्दायुक्त गुटखा ने बाजार में दस्तक दे दी है जो प्रतिबंध के पहले तक सबसे ज्यादा बिका करता था।

जर्दायुक्त गुटखा के सेवन से कर्क रोग होता है। यह शब्द अब बेकार हो चुका है। बढ़ते कैंसर मरीजों की संख्या के बाद 2012 में ऐसी इकाइयों में कड़ाई के साथ ताले लगा दिए गए। प्रदेश भर में एक साथ जांच अभियान के बाद लगभग हर जगह ऐसे जर्दायुक्त गुटखा का भंडारण, परिवहन और विक्रय पर रोक लगाई गई। जांच और कार्यवाही की गति जैसे-जैसे कम होती गई, बाजार वैसे-वैसे फिर से खड़ा होता गया। अब यह खुलेआम प्रदर्शन के साथ बेचा जा रहा है। काउंटर तक पहुंचाकर देने वाली सेवाएं बेखौफ चालू हो चुकी है और चालू हो चुका है खुलेआम बिक्री का किया जाना।

अब दूसरे का प्रवेश
हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। पहले जर्दायुक्त गुटखा पानराज बनाया और बेचा गया। अब ऐसे ही सितार ने इस बाजार में पहुंच बना ली है। कम कीमत में काउंटर और पान दुकानों में पहुंचाकर दिए जाने वाली सेवाएं इसका बाजार तेजी से बढ़ा रही है। प्रति पाउच लाभ का प्रतिशत हैरत में डालता ही है, आश्चर्य में भी डाल रहा है कि खुलेआम प्रदर्शन के साथ बेचे जा रहे ये प्रतिबंधित उत्पादन खाद्य एवं औषधि प्रशासन को दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं।

ये दस में चार, वो दस में छह
आगाह करने वाली चेतावनियों के बीच और प्रतिबंध के बाद भी फिर से बाजार में बिक रहा सितार का जर्दायुक्त गुटखा पाउच 10 रुपए में 6 नग मिल रहा है तो पानराज की उपलब्धता इतनी ही रकम खर्च करने के बाद 4 पाउच में हो रही है। एक साथ दो पाउच की ज्यादा की उपलब्धता के बाद सितार तेजी से शहर के साथ ग्रामीण बाजार में भी पहुंच चुका है। यह फैलाव चिंता में ही डाल रहा है।

इन जगहों पर ज्यादा
प्रतिबंध के बाद अमल में लाया गया कोटपा एक्ट में प्रावधान है कि तंबाकू या तंबाकू से बने उत्पादन का विक्रय अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और स्टेशन की निर्धारित सीमा के भीतर नहीं किया जा सकता लेकिन यह ऐसी ही जगहों पर सबसे ज्यादा खुलेआम प्रदर्शन के साथ बेची जा रही है। रही बात जांच या कार्यवाही की तो, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने हमेशा की तरह अपने काम से दूरी बना ली है। लिहाजा ऐसे कारोबार को लगातार बढ़त मिल रही है।

“जर्दायुक्त गुटखा के विनिर्माण, परिवहन, भंडारण और विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। जांच के लिए निर्देशित किया जा रहा है।”
डॉ. आर. के. शुक्ला,
असिस्टेंट कमिश्नर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, रायपुर

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