रायपुर-“माहो” यह शब्द ही डराता है। केवल 28 से 33 दिन का जीवन चक्र वाला यह कीट धान की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इतना नुकसान कि समय रहते उपाय नहीं किए गए तो फसल चौपट करने में इसे देर नहीं लगती। प्रतिकूल मौसम और मानसून वापसी के दौर के बीच जिस तरह का मौसम बन रहा है उससे इस कीट को अपना परिवार बढ़ाने में पूरी मदद मिल रही है।

वापसी की राह पकड़ चुका मानसून जाते-जाते भी बरस रहा है। कुछ देर की बारिश के बाद तेज धूप, फिर उमस, फिर बादलों का जमता डेरा। यह सब उस कीट को पनपने और परिवार बढ़ाने में पूरी मदद कर रहे हैं जिसे भूरा माहो कहा जाता है। धान की फसल का सबसे खतरनाक दुश्मन भूरा माहो के लिए बेहद अनुकूल मौका मिल रहा है परिवार बढ़ाने और धान की तैयार होती फसल को चट करने के लिए। तैयार हो रही फसल को इनसे बचाने के लिए भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं कीटनाशक दवाओं का छिड़़काव किया जाकर लेकिन प्रकृति इस समय किसान नहीं बल्कि इस कीट का साथ दे रही है।

मध्यम और दीर्घावधि पर हमला
भूरा माहो बारिश के बाद तेज धूप और उमस भरे वातावरण में अपना परिवार बढ़ाता है। फिलहाल जैसा मौसम है उससे इस कीट को भरपूर मदद मिल रही है। इस समय मध्यम अवधि की फसल में महामाया, सफरी, राजेश्वरी और दंतेश्वरी जैसी प्रजातियों की फसल में बालियां निकल आई है तो दीर्घ अवधि वाली फसल स्वर्णा, एचएमटी, सियाराम, दुबराज और विष्णु भोग में बालियों के निकलने की अवस्था आ चुकी है। याने मौसम पूरी तरह भूरा माहो के साथ है। इस समय यह कीट बालियां निकल चुकी फसलों को चट कर रहा है।

जीवन चक्र 28 से 33 दिन का
भूरा माहो की तीन अवस्था होती है। अंडा, शिशु और प्रौढ़। शिशु और प्रौढ़ अवस्था में ही धान की फसलों पर यह हमला करते हैं। 28 से 33 दिन का जीवन चक्र वाला भूरा माहो शिशु की अवस्था में सबसे तेजी से हमला करता है। धान की घनी फसल और खाद का छिड़़काव जहां पर ज्यादा होता है वहां इन्हें माकूल मौका मिलता है। तने के भीतर प्रवेश करने के बाद यह तने का पौष्टिक तत्व खींचता है जिससे पौधों की बालियां पीली और भूरी दिखने लगती है। अंत में पूरा पौधा सूख जाता है और गिर जाता है याने जबरदस्त नुकसान पहुंचाता है।

करें इन दवाओं का छिड़़काव
माहो के प्रकोप से बचाव और नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रीड 17.5 एस.एल. 60-90 मिली. अथवा डाईनोटेफ्यूरोन 20 प्रतिशत एस. जी.60 ग्राम प्रति एकड़ या फिर ट्राईफ्लूमेजोंपाइरिम 10 प्रतिशत एस.सी. 94 मिली. की मात्रा में छिड़काव किया जा कर नियंत्रित किया जा सकता है। मात्रा का ध्यान पूरी गंभीरता से दी गई सलाह के बाद रखना होगा क्योंकि यह कीट बहुत जल्द दवा के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा लेता है। इसलिए समय-समय पर निगरानी सबसे ज्यादा जरूरी है।
“जहां पर भूरा माहो का प्रकोप पिछले कुछ सालों से बढ़ता दिखाई दे रहा है वहां के किसानों को चंद्रहासिनी या आई आर 64 जैसी प्रतिरोधी किस्में लगानी चाहिए। इनमें इस रोग के प्रति, प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है।”
डॉ संदीप भंडारकर
साइंटिस्ट, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर