रायपुर- लापरवाही से यहां-वहां फेंक दिए गए मास्क की फिर से खोज-खबर ली जाने लगी है तो बाजार भी फिर से गर्म होता दिखाई देने लगा है। अलबत्ता सैनिटाइजर पूरी तरह जमीन पर आ पर चुका है। बिक्री तो दूर पूछ-परख तक नहीं हो रही है। लिहाजा इसमें आर्डर दिए जाने बंद हो चुके हैं।
यात्री ट्रेनों का पटरी पर फिर से लौटने का क्रम जारी है तो यात्रियों की आवाजाही भी बढ़ती दिखाई देती है। 11 माह से बंद स्कूलें भी खुल चुकी हैं। छात्र-छात्राओं की संख्या भले ही कम है लेकिन कोरोना का भय पूरी तरह खत्म होता दिखाई देता है क्योंकि मास्क और सेनीटाइजर की अनिवार्यता के बाद भी पालन को लेकर गंभीरता दिखाई नहीं देती। ऐसे में अंबिकापुर और राजनांदगांव की स्कूलों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या की जानकारी प्रकाश में आते ही शुक्रवार को प्रदेश के बाजार में मास्क की मांग में अचानक तेजी आई और 5 से 8 हजार नग मास्क की प्रतिदिन की मांग की संख्या 10 हजार को पार करती दिखाई दी।

भय के बीच खोज
स्कूल-कॉलेजों के फिर से चालू हो जाने के बाद छात्र-छात्राओं की पहुंच होने लगी है। इसी तरह यात्री ट्रेनों के परिचालन को भी गति मिलने के बाद महामारी को लेकर छाया भय लगभग खत्म हो चुका है लेकिन राजनांदगांव और अंबिकापुर की स्कूलों में एक साथ दो दर्जन संक्रमण के मामले आते ही मास्क की खोज, घरों से निकलकर बाजार तक होती दिखाई दे रही है। एकाएक आई मांग के बाद यह स्पष्ट हो रहा है कि मास्क का बाजार फिर से बढ़ सकता है।

दोगुनी होने के संकेत
संक्रमण की घटती संख्या के बीच प्रदेश का मास्क बाजार प्रतिदिन लगभग 5 से 8 हजार की जगह 7 से 10 हजार नग पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। 2 से 3 हजार नग की बढ़ी संख्या से यह जाहिर होता नजर आ रहा है कि यह मांग फिर से पूर्ववत स्तर पर जा सकती है। हालांकि इसकी संभावना कम ही है क्योंकि स्वयंसेवी संस्थाएं अब भी इसकी नि:शुल्क पहुंच आसान बना रही हैं। फिर भी बाजार एक बार फिर से इसकी उपलब्धता पक्की करने के प्रयास में है तो काउंटर के पीछे रख दिए गए पैकिंग का फिर से बाहर निकाला जाना चालू हो चुका है।

शून्य पर सेनीटाइजर
एक समय ऐसा भी था जब सैनिटाइजर की खरीदी निर्धारित से ज्यादा कीमत पर करनी पड़ी। खपत का हाल ऐसा था, जब 50 हजार लीटर सैनिटाइजर प्रदेश में 1 दिन में बेचा जा रहा था। अब स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो चुकी है। बाजार पूरी तरह जमीन पर आ चुका है और बिक्री पूरी तरह शून्य हो चुकी है। संक्रमण के नए मामले के सामने आने के बाद भी इसमें खरीदी तो दूर, पूछ-परख तक नहीं हो रही है।
“संक्रमण के नए मामले आने के बाद मास्क में फिर से पूछ-परख और बिक्री की जानकारी आ रही है लेकिन बढ़त के आसार कम ही हैं क्योंकि स्वयंसेवी संस्थाएं अब भी इसके पहुंच को आसान बनाए हुए हैं। फिर भी सावधानी बेहद जरूरी है।”
अविनाश अग्रवाल,
सचिव, राज्य औषधि विक्रेता संघ, रायपुर