भाटापारा- हैरत में है बारदाना यह देखकर कि उसकी पूछ- परख एका-एक इतनी क्यों हो रही है? परेशान है किसान क्योंकि पूरे 1 माह विलंब से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी हो रही है। ऐसे में कटाई के बाद तैयार हो रही फसल को बारदानों में भरकर सुरक्षित रखना है। इसलिए बारदाना में पूछ -परख और खरीदी दोनों साथ साथ चल पड़ी है। ऐसे में बारदानों की कीमतें उछाल लेने लगी है। जूट के साथ प्लास्टिक के बोरों की भी कीमत नग पीछे दो रुपए बढ़ चली है।

1 नवंबर नहीं। 1 दिसंबर से होगी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी। सरकार की इस योजना से सबसे अधिक परेशान- हलाकान वह किसान है जिसे अपनी उपज बेचने के लिए एक माह का इंतजार करना होगा। ना केवल इंतजार बल्कि कृषि उपज सुरक्षित रखने के लिए जरूरी इंतजामात भी करने होंगे। इसमें बारदाना मुख्य है। जिससे यह उपार्जन केंद्र तक पहुंचाया जा सके। मानसून की मेहरबानी से इस बार उत्पादन बढ़़त की ओर है। लिहाजा अतिरिक्त बारदाना की खरीदी के लिए किसान बाजार तक पहुंच रहा है लेकिन कीमत परेशान कर रही है।

जूट बैग पर ज्यादा भरोसा
इसके पहले तक कभी भी बाजार में स्ट्रीट वेंडर के रूप में बारदाना कारोबारी दिखाई नहीं दिए। पहली बार है जब इनकी छोटी-छोटी दुकानें पूरे बाजार में सड़कों पर लगी दिखाई दे रही है। दिलचस्प बात यह है कि जूट बैग पर किसानों का अब भी भरोसा मजबूती से कायम है जबकि प्लास्टिक बैग अब भी किसानों का विश्वास नहीं जीत पाया है। वजह साफ है कि जूट बैग की उम्र ज्यादा होती है और प्लास्टिक बैग की कम।

कम कीमत इसलिए प्लास्टिक
प्लास्टिक बैग की खरीदी केवल इसलिए की जा रही है क्योंकि यह जूट बैग की कीमत की तुलना में आधी कीमत पर मिल रहा है। इसमें भी हर बारदाना को जांच- परख कर ही लिया जा रहा है। इसके बावजूद किसानों की पहली पसंद जूट बैग ही है। कीमत में आधी होने की वजह से ही प्लास्टिक बैग की खरीदी की जा रही है। इसके अलावा लाने- ले जाने में आसानी को भी इसकी खरीदी की दूसरी वजह बताई जा रही है।

किसकी उम्र कितनी?
जूट कारोबार का कहना है कि जूट बैग, फाईव टाईम यूज़ तक सही माना जाता है जबकि प्लास्टिक बैग मात्र 2 टाइम तक ही उपयोग किया जा सकता है। तीसरी बार उपयोग तो किया जा सकता है लेकिन गारंटी नहीं कि यह काम आएगा।

इको फ्रेंडली जूट बैग
जूट बैग अपनी उम्र तक काम करने के बाद प्राकृतिक रूप से नष्ट किया जा सकता है। याने यह पूरी तरह इको फ्रेंडली है लेकिन प्लास्टिक बैग फिर से रि-साइक्लिंग यूनिट में दिए जाते हैं याने यह नष्ट नहीं होते। इसलिए जूट बैग अभी भी जमा हुआ है।

महंगा फिर भी सब की मांग
जूट बैग 40 किलो की भरती वाला, नया बैग की तुलना में पुराना की कीमत 24 रुपए प्रति नग पर उपलब्ध है। एक माह पहले तक यह 22 रुपए प्रति नग पर मिल रहा था जबकि प्लास्टिक बैग 10 रुपए की जगह 12 रुपए प्रति नग पर पहुंच गया है। लेकिन उपभोक्ता अभी जूट बैग की खरीदी को पहली प्राथमिकता दे रहा है।

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