रायपुर/बिलासपुर- डिस्टलरीज कंपनियों के अलावा अब सैनिटाइजर निर्माण इकाईयों की मांग के बाद पहली बार महुआ ने 5200 क्विंटल का भाव अपने नाम कर लिया है। स्टॉक भी भरपूर है और मांग भी जोरदार है ऐसे में कीमतों में मंदी की संभावना फिलहाल नहीं है।

कोरोना काल में मदिरा निर्माण इकाईयों में कामकाज की गति धीमी है। इसके असर से शराब निर्माण के उपयोग में आने वाली कच्ची सामग्रियों की कीमतों में मंदी आ चुकी है लेकिन महुआ एकमात्र ऐसी चीज है जिसके भाव लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे एक वजह सामने आ रही है वह है सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली कंपनियों की मांग महुआ में निकलना। यह कंपनियां हालांकि इसका उपयोग सीमित मात्रा में कर रही हैं लेकिन मांग बराबर बने रहने से महुआ की कीमतों को मानो पंख लग चुके हैं। जैसे संकेत मिल रहे हैं उसके अनुसार इसमें तेजी के आसार फिलहाल नहीं है।

सैनिटाइजर ने बढ़ाई कीमत
देश में कई कंपनियां सैनिटाइजर की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए उत्पादन लगातार बढ़ा चुकी है। अपने राज्य की कुछ प्रतिष्ठित डिस्टलरीज कंपनियों ने इस क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है। फल स्वरुप शॉर्टेज जैसी स्थिति नही है क्योंकि सैनिटाइजर उत्पादन में जरूरी अल्कोहल महुआ से हासिल किया जा रहा है। वैसे सैनिटाइजर उत्पादन में केमिकल अल्कोहल का भी उपयोग हो रहा है लेकिन महुआ की तुलना में महंगा होने से महुआ की मांग बढ़ चली है और इसी वजह से इसमें तेजी आ चुकी है।

केमिकल अल्कोहल से है सस्ता
महुआ से बनने वाला अल्कोहल सैनिटाइजर निर्माण में उपयोगी केमिकल अल्कोहल से काफी सस्ता है। इसलिए आइसो प्रोफाइल अल्कोहल और एथाइल अल्कोहल की तुलना में महुआ की खरीदी को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे बनने वाला अल्कोहल केमिकल अल्कोहल की तुलना में सस्ता भी है और पूरी तरह नैसर्गिक भी। इसलिए सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली कंपनियां छत्तीसगढ़ से महुआ की खरीदी की मात्रा बढ़ा रही है।

45 सौ से 52 सौ रुपए
मांग का क्षेत्र बढ़ने के बाद प्रदेश के महुआ स्टॉकिस्टों को पहली बार इसके विक्रय पर 45 सौ से 52 सौ रुपए की कीमत मिल रही है। अनुमानित 4 से 6 लाख टन उत्पादन के बाद भरपूर स्टॉक को मांग के अनुपात में क्लियर किया जा रहा है। जैसे संकेत मिल रहे हैं उस पर भरोसा किया जाए तो इस बार महुआ का भाव नया कीर्तिमान बना सकता है।

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