भाटापारा- हारमोनियम के सुर, बांसुरी की तान और तबला-ढोलक का साथ। यह सब इस बार नवधा रामायण मंडलियों को महंगा पड़ने जा रहा है। धुमाल पार्टियों को भी ढोल और ताशा की खरीदी के लिए पूरी जेब खाली करनी पड़ सकती है। कोरोना काल के बीच सामान्य दिनों की ओर लौटते जीवन के साथ मेरठ की वाद्य यंत्र निर्माण ईकाईयों में धीरे-धीरे मांग पहुंचने लगी है। कुशल हाथों के इंतजार में किसी तरह निर्माण का काम चालू हो चुका है पर यह काफी महंगा पड़ रहा है। इसके असर से वाद्य यंत्रों की कीमतें बढ़ चली है।
कड़ी शर्तों के साथ आयोजन की अनुमति। गाईडलाईन के पालन करने पर शादी ब्याह। सीमित संख्या में उपस्थिति और पूजा-अर्चना जैसे बंधन के बीच 8 माह से लॉक वाद्य यंत्रों का बाजार अनलॉक हो चुका है लेकिन मेरठ में बनने वाले इन वाद्य यंत्रों को बनाने वाले कुशल हाथ अब तक नहीं पहुंच सके हैं, जिन के बल पर बेजान हो चुके इस बाजार में जान फूंकी जा सकती है। लिहाजा ईकाईयां जी-तोड़ प्रयास करके मांग पूरा करने में लगी हुई हैं। इसका असर कीमतों पर पड़ रहा है जो क्रय शक्ति से बाहर जा चुकी है। कम से कम छत्तीसगढ़ में तो हाल कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है।
निकली इनकी मांग
कोरोना संक्रमण के दौर में सामान्य जीवन की ओर लौटने के प्रयास के साथ ग्रामीण क्षेत्रों से नवधा रामायण मंडलियों और भजन संध्या समितियों की मांग वाद्य यंत्रों में निकल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटाई का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इसके बाद नवधा रामायण जैसे आयोजन होने हैं। इसलिए भी मांग बढ़ रही है और धुमाल पार्टियां भी वाद्य यंत्रों की खरीदी करने दुकानों तक पहुंच रहीं हैं।
दबाव में आई ईकाईयां
छत्तीसगढ़ सहित लगभग पूरे देश की मांग पूरा करने वाली मेरठ की वाद्य यंत्र निर्माण इकाइयां दबाव में आ चुकी है। यह दबाव इसलिए है क्योंकि कुशल हाथ नहीं मिल रहे हैं। इसलिए अर्ध कुशल हाथों के जरिए ही निर्माण का काम संभालने की कोशिश की जा रही है। विपरीत परिस्थितियों के बीच निकली मांग के असर से निर्माण लागत बढ़ चुकी है जिसका असर खुले बाजार में पड़ने लगा है।
तेजी ने बिगाड़ा सुर
भजन मंडलियों या नवधा रामायण का आयोजन करने वाली समितियों के लिए सबसे पहले हारमोनियम जरूरी है तो धुमाल पार्टीयां कैसियो की मदद लिया करती हैं। अब यह दोनों क्रय शक्ति से बाहर जा चुकी हैं। इस समय हारमोनियम की कीमत 8000 से 20000 रुपए ली जा रही है। जनवरी में यह 6000 से 12000 रुपए में मिल रहा था। कैसियो 3500 की जगह 4500 रुपए में पहुंच चुका है तो ढोलक की खरीदी करने के लिए 1000 से 1300 रुपए की जगह 1600 से 2200 रुपए देने होंगे। तबला के लिए 2500 से 3000 रुपए लगेंगे। इसमें 300 रुपए की तेजी आ चुकी है। झांझ 300 से 800 रुपए की जगह 500 से 1200 रुपए मे पड़ रहा है। धुमाल पार्टियों को ढोल की खरीदी 900 से 2000 रुपए में करनी होगी। इसके पहले यह 750 से 1500 रुपए में मिल रहा था। ताशा 350 से 550 रुपए की जगह 550 से 750 रुपए में पहुंच चुका है तो 100 से 250 रुपए में मिलने वाली बांसुरी 150 से 400 रुपए की कीमत के साथ तान बिगड़ चुकी है।
“नवधा रामायण मंडलियों और धुमाल पार्टियों के लिए जरूरी वाद्य यंत्रों की कीमतों में तेजी आ चुकी है क्योंकि मेरठ के कारखानों में कुशल कारीगरों की कमी की खबर है। इसलिए भाव बढ़ रहे हैं।”
मानव वर्मा
संचालक, श्री स्पोर्ट्स भाटापारा,