मुम्बई- महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री धनंजय मुंडे विवाहेतर संबंध और दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद चौतरफा घिर गए हैं। उनका प्रेम प्रकरण सुर्खियों में है। मंत्री पद जाने की नौबत आ गई है। लेकिन मुंडे परिवार के लिए यह कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले उनके काका भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत गोपीनाथ मुंडे पर भी लावणी की नृत्यांगना बरखा नामक एक महिला से संबंध रखने का मामला सुर्खियों में आया था। उस वक्त शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने गोपीनाथ मुंडे का बचाव किया था। 90 के दशक में दिवंगत गोपीनाथ मुंडे का राजनीतिक कैरियर उफान पर था। साल 1995 में शरद पवार के नेतृत्व में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय हुई थी। तब महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी थी। शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री और गोपीनाथ मुंडे उप मुख्यमंत्री व गृहमंत्री बने थे। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे गोपीनाथ मुंडे का बरखा का प्रेम प्रकरण सामने लाए थे। यह 1996-1997 का साल था। उस समय यह प्रेम संबंध उजागर होने पर सूबे की राजनीति में खलबली मच गई थी। अब इतने दिनों के बाद दिवंगत मुंडे के भतीजे सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे का विवाहेतर संबंध चर्चा का विषय बना है। सूबे के राजनीतिक गलियारे में चुटकी ली जा रही है कि फिर आई बरखा बहार। उस समय अखबारों से लेकर न्यूज चैनलों में मुंडे बरखा प्रेम प्रकरण की खूब चर्चा थी। कोलकाता से निकलने वाले एक अखबार की हेडिंग ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। मुंडे-बरखा प्रकरण को लेकर अखबार में छपी खबर का शीर्षक था जोशी तेरा मुंडा बिगड़ा जाय। हालांकि उस समय बरखा या उसके परिवार का किसी सदस्य ने सीधे तौर पर गोपीनाथ मुंडे पर कई आरोप नहीं लगाया था। जिस तरीके से धनंजय मुंडे पर दुष्कर्म का आरोप लगा है। इसलिए गोपीनाथ मुंडे को इस बारे में किसी तरह की सफाई देने की नौबत नहीं आई थी। गोपीनाथ मुंडे-बरखा प्रेम प्रकरण मामले में महाराष्ट्र के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे बुरी तरह उलझ गए थे। भाजपा जैसी पार्टी में होने के नाते उनके मंत्री पद पर भी तलवार लटक रही थी। गोपीनाथ मुंडे के साले प्रमोद महाजन भाजपा के कद्दावर नेता थे। लेकिन, प्रकरण ही ऐसा था कि पार्टी के बड़े नेताओं की बोलती बंद हो चुकी थी। ऐसे में रिमोट कंट्रोल से सरकार चला रहे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के बयान ने मुंडे की समस्याओं का चुटकी में अंत कर दिया था। ठाकरे ने शिवाजी पार्क में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, जब प्यार किया तो डरना क्या। इसके बाद मामले का रूख ही बदल गया और इस प्रेम प्रकरण का पटाक्षेप हो गया।