रायपुर- लॉकडाउन के बढ़ते दिन। बदली जीवन शैली। अनियमित दिनचर्या। बदलती खानपान की शैली। इन सभी ने मिलकर कुछ ऐसी स्वास्थ्यगत बीमारियों को बढ़ाने में भरपूर मदद की है जिसकी शिकायतों के बीच अंतराल की अवधि ज्यादा हुआ करती थी। अब ऐसा नहीं रहा। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिसे देखते हुए शासकीय अस्पतालों में काउंसिलिंग की सुविधा चालू की जा चुकी है।

कोरोना। लॉकडाउन। मास्क और सैनिटाइजर की अनिवार्यता। क्वॉरेंटाइन। कंटेनमेंट जोन। यह कुछ ऐसे शब्द है जो भयभीत कर रहे हैं। टोटल लॉकडाउन इस भय को और ज्यादा बढ़ाता है। क्योंकि इस दौरान ना ही जरूरी सामग्रियां मिल पाएंगी ना ही सहयोग मिल सकेगा। इस बीच घर पर जो उपलब्ध है उसे ही उपयोग करके भूख मिटानी होगी। लेकिन रियायत मिलते ही खाद्य सामग्रियां की उपलब्धता पर टूट पड़ने की आदतें इस तेजी से बढ़ रही है कि ना केवल दिनचर्या अनियमित होती जा रही है बल्कि आहार शैली में भी बेतरह बदलाव आ चुका है। नतीजा कब्ज, एसिडिटी, शुगर, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, तनाव और चिड़चिड़ापन की बढ़ती शिकायतों के रूप में सामने आ चुका है। इसे देख सरकारी क्षेत्र की अस्पतालों में काउंसलिंग की सुविधा शुरू हो चुकी है तो निजी अस्पतालें भी इसका निदान प्राथमिकता से कर रही है।

इसलिए बढ़ रहे मरीज
लॉक डाउन की बढ़ती तारीखें इतनी लंबी हो चुकी है कि यह अब चार माह को पूरा कर पांचवे माह में प्रवेश कर चुकी है। ऐसे में अधिकतर लोग घरों में ही हैं। कार्यालय से भी दूर रहने का तनाव बढ़ रहा है तो अनियमित दिनचर्या ऐसी तकलीफें बढ़ा रही हैं। इसका बढ़ता असर आहार शैली में भी तेजी से बदलाव ला रहा है। शारीरिक श्रम एक स्वस्थ शरीर के लिए जो होना चाहिए वह भी कम हो चुका है। इसलिए भी ऐसी स्वास्थ्यगत परेशानियां बढ़ रही है।

इसकी शिकायतें सबसे ज्यादा
अनियमित दिनचर्या, बदली खानपान की शैली के बाद मधुमेह, रक्तचाप, कब्ज, अपच, सिर दर्द, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा के साथ तनाव की शिकायतें अस्पतालों तक सबसे ज्यादा पहुंच रही है। इसके अलावा मौसमी बीमारियां अलग से परेशान की हुई है। काउंसलिंग और मरीजों के साथ की जा रही बातचीत में केवल एक ही वजह सामने आ रही है वह यह कि एक ही जगह पर लगातार रहने की वजह से शारीरिक श्रम कम हो पा रहा है।

बचाव के लिए यह करें
स्वास्थ्यगत परेशानियों में जिन बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है उनके लिए स्वास्थ्य विभाग ने जो सलाह जारी की है उसके अनुसार तली हुई चीजों के सेवन से जहां तक हो सके बचा जाए। खानपान में सलाद की मात्रा बढ़ाएं और भूख की मात्रा से कुछ कम मात्रा में भोजन करें। दूध और दही की मात्रा बढ़ाकर भी ऐसी समस्या से बचा जा सकता है। इसके बाद भी शिकायतें बनी रहती है तो ही दवाइयों का लिया जाना सही होगा। इसके लिए इसके लिए चिकित्सकीय सलाह जरूर लिए जाएं।

“जिस तरह की स्वास्थ्यगत परेशानियां सामने आ रही है। उससे बचने के उपायों के तहत खानपान में सलाद के सेवन को प्राथमिकता दें। दूध और दही की मात्रा बढ़ाएं। तली हुई खाद्य सामग्रियों से परहेज करें। रात मैं लिए जाने वाले भोजन की मात्रा कम रखें।”
डॉ आर के शुक्ला

असिस्टेंट कमिश्नर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन रायपुर

“लॉक डाउन की अवधि में प्रदेश में कब्ज,अपच, एसिडिटी, शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाओं की बिक्री बढ़ी है। इसके अलावा सिर दर्द से बचाव के लिए उपलब्ध दवाओं की मांग में भी वृद्धि हो रही है।”
सुभाष अग्रवाल

अध्यक्ष, राज्य औषधि विक्रेता संघ रायपुर

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