भाटापारा- बोर खनन की योजना बना रहे किसानों के लिए राहत। प्रति फीट खनन पर लगने वाला शुल्क इस बार भी बीते बरस जैसा ही होगा लेकिन सिमगा विकासखंड के कुछ गांवों को ज्यादा पैसे लग सकते हैं क्योंकि गहराई तक मिलने वाली रेत से बचने के उपाय के लिए केसिंग पाइप की संख्या ज्यादा लेनी पड़ेगी।
बोर खनन कारोबार क्षेत्र तैयार हो चुका है। फसल बेचकर लौट चुके किसानों के हाथ उपज की कीमत पहुंचने लगी है। इस बीच सिंचाई पानी का संकट देख चुके किसान उन खेतों में बोर खनन की योजना बना रहा है जहां अगली फसल के लिए अभी से पूरी तैयारी की जा सके। पूछ-परख होती देख बोर खनन कारोबार इस बार प्रति फीट खनन की कीमत नहीं बढ़ाने पर फैसला कर चुका है। ऑर्डर का लिया जाना भी शुरू किए जाने की खबर है।
यहां ज्यादा लागत
सिमगा ब्लॉक के कुछ गांव इस बार भी अच्छी खासी रकम खर्च करने के बाद ही पानी की सुविधा पा सकेंगे क्योंकि इन गांवों की धरती, गहराई पर जाने के पहले रेत देती है। इससे बचने के लिए केसिंग पाइप की संख्या सबसे बड़ा झटका देती आई है। इसलिए इस बार इस क्षेत्र के कुछ गांव को प्रति बोर खनन के लिए एक लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की रकम खर्च करने पड़ सकते है।
पड़ोसी को भी लगेंगे ज्यादा पैसे
सिमगा विकासखंड से लगे बेमेतरा जिले का नवागांव और मारो क्षेत्र के कुछ गांव को भी ऐसे ही संकट का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा, जेब में ज्यादा पैसे रखने होंगे क्योंकि ये दोनों क्षेत्र भी पानी के लिए रेत से सामना करते आए हैं। लिहाजा इन्हें भी लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए प्रति बोर खनन के लिए खर्च करना पड़ सकता है।
शेष 5 ब्लॉक में स्थिति ठीक
जिले के आधा दर्जन ब्लॉक में सिमगा ब्लॉक को छोड़कर पलारी, भटगांव, कसडोल, बिलाईगढ़ और भाटापारा ब्लॉक के गांव में एक निश्चित गहराई पर पानी मिलता रहा है। इन पांचों ब्लॉक में रेत के होने जैसी समस्या नहीं है इसलिए 300 फीट की औसत गहराई तक बोर खनन करवाए जाने पर होने वाली खर्च की रकम पूर्ववत याने बीते बरस जैसी होगी। इसलिए इतनी गहराई तक जाने में 20 से 21 हजार रुपए खर्च किए जा सकेंगे। केसिंग पाइप की दर कुल रकम की मात्रा बढ़ा सकती है।
“बोर खनन की दरें इस बार भी 68 से 70 रुपए प्रति फीट पर स्थिर है। पूछताछ शुरू हो चुकी है लेकिन सिंमगा व नवागढ़ ब्लॉक के कुछ गांव के किसानों को खनन पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं क्योंकि यहां रेत की वजह से बोर खनन में दिक्कत आती है।”
प्रदीप अग्रवाल,
संचालक, ऋषभ बोरवेल्स, भाटापारा