रायपुर- राहत! कन्फेक्शनरी आइटम्स बनाने वाली इकाईयों को लिक्विड ग्लूकोज की प्रति ड्रम की खरीदी पर 12000 नहीं अब 10000 रुपए लगेंगे। कीमत में आई कमी की मुख्य वजह मानी जा रही है छत्तीसगढ़ में मक्का का भरपूर उत्पादन, जिससे मक्का से ग्लूकोज बनाने वाली प्रदेश की एकमात्र इकाई को बाहरी राज्यों से खरीदी से राहत मिल चुकी है। इसके अलावा सरकारी खरीदी की मदद भी इस उद्योग को मिलने लगी है।
प्रदेश की कन्फेक्शनरी आइटम्स बनाने वाली इकाईयां इस बरस राहत में है क्योंकि पिपरमेंट और दूसरी श्रेणी की टॉफियां बनाने का मुख्य साधन लिक्विड ग्लूकोज की कीमत में बड़ी गिरावट आ चुकी है। इसमें और गिरावट के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं क्योंकि प्रदेश में इस बार मक्का की भरपूर फसल हुई है। लिहाजा कीमतों में नरमी के संकेत मिल रहे हैं। इधर बाजार में ऐसे पिपरमेंट और टॉफियों का सबसे बड़ा उपभोक्ता, ग्रामीण क्षेत्र से भी भरपूर मांग निकल रही है। कोरोना काल के लदते दिन के बाद बाजार जिस तेजी से ग्रोथ ले रहा है उससे यह क्षेत्र संतोष की सांस ले रहा है।

कीमत पहले और अब
प्रदेश की राजनांदगांव में इकलौती लिक्विड ग्लूकोज उत्पादन इकाई में इस बार मक्का किसानों की मेहनत भरपूर उत्पादन के रूप में पहुंच चुकी है। इसलिए मक्का से ग्लूकोज बनाने की उत्पादन लागत में भी कमी आ चुकी है। बीते बरस 300 किलो का जो लिक्विड ग्लूकोज का ड्रम 12000 रुपए पर मिल रहा था वह अब 10000 रुपए पर खुले बाजार में पहुंच रहा है।

राहत में कन्फेक्शनरी इंडस्ट्रीज
राजनांदगांव में मक्का से बनने वाले लिक्विड ग्लूकोज इकाई के स्थापना के पहले तक मंदसौर से इसकी आपूर्ति की जाती थी लेकिन अब अपने राज्य में ही इस उद्योग के चालू हो जाने के बाद प्रदेश की कन्फेक्शनरी इंडस्ट्रीज को बड़ी राहत मिली है क्योंकि अब ऑर्डर देने के महज 48 घंटे के भीतर सप्लाई हो जा रही है। इसके अलावा परिवहन पर लगने वाले खर्च में भी कमी आई है। अब तीसरी राहत कीमतों में कमी के रूप में पहुंच चुकी है।

बनती है यह सामग्री
मक्का से बनाई गई लिक्विड ग्लूकोज से कन्फेक्शनरी इंडस्ट्रीज में स्थानीय बाजार के मांग के अनुरूप कम कीमत वाले पिपरमेंट और टॉफिया बनाई जाती हैं। इसके अलावा बीते 2 साल से बेसन के सेंव से लड्डू भी बनाए और बेचे जाने लगे हैं। इसके साथ ही आकर्षक पैक में मुरमुरा के रंगीन लड्डू भी बनाए जाने लगे हैं क्योंकि इसका मुख्य उपभोक्ता ग्रामीण बाजार पूरे साल इसकी मांग करता आया है।