भाटापारा- छोटी लागत, कम कमाई। ज्यादा मेहनत, कम आय। और रोजाना चलने वाले यात्रियों से जान-पहचान की मदद से गृहस्थी की गाड़ी खींचने वाले 13 ऐसे छोटे से काम पर रोक लग चुकी है जिसे अब तक सम्मान का हकदार नहीं माना जा सका है। यह काम उन ट्रेनों के चलते पहियों के चलने पर चला करता था, जिसमें अब ब्रेक लग चुका है। थमे हुए यह पहिए कब चलेंगे? बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।
ट्रेनों के सहारे जीवन यापन करने वाले दूसरे वर्गों पर ब्रेक के बाद अब 13 ऐसे छोटे-मोटे काम पर पूरी तरह ताले लग चुके हैं, जिनके चलते रहने पर ही जीवन की गाड़ी खींची जाती थी। 8 महीनों से बंद रेल सेवा के बाद यह बेहद छोटा सा वर्ग अब या तो गांव-देहातों में फेरी लगाकर रोजी-रोटी का इंतजाम कर रहा है या स्ट्रीट वेंडर के रूप में रोटी की तलाश में निकल चुका है। कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने कबाड़ के ढेर में रोटी तलाशनी शुरू की हुई है पर दिन भर की हाड़-तोड़ मेहनत के बाद भी जो रोटी मिल रही है उससे भूख मिटाना बेहद मुश्किल काम लगने लगा है।
सड़क पर रोटी की तलाश
यात्री ट्रेनों के चलते रहने पर ट्रेनों में चाय, समोसा, आलू गुंडा, चना, मूंगफली, मोबाइल के पावर बैंक, छोटे खिलौने, ताश की पत्तियां, बूट पॉलिश, बैग की चैन मरम्मत करने वाले, गर्मी में कोल्ड ड्रिंक्स और फल हॉकर, प्लेटफार्म पर फेंकी गई पानी की बोतलों में फिर से पानी भरकर बेचने वालों के साथ पॉपकॉर्न और रेवड़ियां बेचने वाले अब सड़क पर आ चुके हैं। कारोबार बदलने के बीच कुछ ने गांव-देहात का रास्ता पकड़ लिया है, कबाड़ खरीदने और बदले में प्लास्टिक के सामान देने का तो कुछ ने फेरी लगाकर हाथ से निकलती जीवन की डोर थामने की कोशिश चालू कर दी है।
हो गए बेसहारा
रेल परिचालन पूरी तरह बंद किए जाने पर दो ऐसे वर्ग हैं जो पूरी तरह सड़क पर आ चुके हैं। यह है वह दिव्यांग भिक्षुक और ऐसे थर्ड जेंडर जिनके पास केवल यात्री ट्रेनें ही थी। जिनको यात्रा करने वाले यात्रियों से ही मदद मिलती थी। इसी मदद से घरों के चूल्हे भी जला करते थे। अब यह सब सड़कों पर या टोल प्लाजा पर रोटी की तलाश कर रहे हैं।
कर रहे इंतजार
ट्रेन से जुड़ा हुआ एक और वर्ग परिचालन के बंद होने के बाद से हताश हो चुका है। यह है वे ऑटो चालक जिन पर दोहरी मार पड़ चुकी है। तय संख्या में सवारियों की अनुमति, सीमित संख्या में चलती ट्रेन और सीमित संख्या में बाहर आते यात्री। शर्तों के बंधन के बीच किराया बढ़ाकर गृहस्थी की गाड़ी चलाने के प्रयासों को झटका लग चुका है क्योंकि आरक्षण पर ही यात्रा कर के उतर रहा यात्री पहले ही बढ़ा हुआ किराया का बोझ लेकर उतर रहा है। रही-सही कसर चौक-चौराहों पर जांच पूरी कर रही है।