रायपुर- पहले मिलता था 4200 रुपए में। अब मिलेगा 4500 रुपए में। यह उस चीज की कीमत है जिसकी मदद से रंग-बिरंगी मिठाइयां, केक और दवाइयां बनतीं हैं। नाम है फूड कलर, जो बनते हैं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में। ताजा तेजी के बाद महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ पहुंच रहे ऐसे फूड कलर की खरीदी पर अब 300 रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे।

फूड कलर याने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत ऐसा रंग जिसकी मानक मात्रा तय की हुई है। इस कड़ाई के बाद अब फूड कलर की मांग बढ़ चुकी है। कोरोना कॉल में मिली छूट के बाद अब मुंबई की फूड कलर प्रोडक्शन कंपनियों ने निर्माण के घंटे इसलिए बढ़ा दिए हैं क्योंकि चौतरफा मांग निकल रही है। अपने छत्तीसगढ़ से भी पहुंच रही मांग के बाद इसमें जो तेजी आई है उसका असर ऐसी सामग्रियों की कीमतों पर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता जो इसका उपयोग बड़ी मात्रा में करती हैं।

इसलिए बढ़े भाव
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बनाए जाने वाले फूड कलर की इकाइयां अब पूरे 24 घंटे चल रही हैं क्योंकि कोरोना कॉल में मिली छूट के बाद देश का हर उपयोगकर्ता क्षेत्र इसकी मांग कर रहा है। मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को खत्म करने के प्रयास के बाद ही इसमें तेजी आ रही है। संकेत मिल रहे हैं कि आने वाले दिनों में यह तेजी और बढ़ सकती है।

इनकी निकली मांग
होटल, रेस्टोरेंट्स, पैक्ड स्वीट निर्माण कंपनियां, रंगीन केक और बेकरी आइटम बनाने वाले लघु एवं मध्यम उद्योग के अलावा कन्फेक्शनरी के साथ नड्डा, पापड़ी बनाने वाली इकाइयां तो इसका उपयोग करती ही हैं इसके अलावा मेडिकल याने दवा बनाने वाली कंपनियां भी इसकी मांग पूरे साल करती आई हैं। तेजी के बाद इन उद्योगों में बनने वाली सभी सामग्रियों की कीमतें बढ़ने से इनकार नहीं किया जा रहा है।

कीमत और खपत
फूड कलर में आई तेजी के बाद मुंबई से पहुंच रहे ऐसे जरूरी फूड कलर का 10 किलो का पैक अब 4500 रुपए में मिलने लगा है। तेजी के पहले तक यह 4200 रुपए पर था। प्रदेश को हर माह 700 किलो फूड कलर की जरूरत होती है। तेजी के बाद इसकी मदद से बनने वाली उन सामग्रियों की कीमतें निश्चित ही बढ़ेंगी जिन्हें इनकी जरूरत पड़ती है। बता दें कि अपने छत्तीसगढ़ में येलो फूड कलर की डिमांड सबसे ज्यादा है।

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