मैजिक और डीजल ऑटो को मिलने लगी सवारियां

भाटापारा- पखवाड़े भर पहले शुरू सड़क परिवहन सेवा चालू सप्ताह के किसी भी दिन बंद की जा सकती है। शर्तों का बोझ, डीजल की बढ़ती कीमतें और यात्रियों के नहीं मिलने के बाद शहर से 8 स्थानों के लिए चलने वाली यात्री बसों के पहिए किसी भी दिन जाम किए जा सकते हैं।

हरेली त्यौहार को उम्मीद मानकर चला जा रहा था। यात्री मिलते तो संकेत मिलता कि आगे भी सवारियां मिलती रहेंगी। लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया। इस त्योहार पर इंतजार में खड़ी बसें दोपहर बाद ही डिपो को लौटा दी गई। अब यह मानकर चला जा रहा है कि चालू सप्ताह के अंत तक आखरी बार और देख लिया जाए फिर सोमवार से यह सड़क परिवहन सेवाएं वापस लौट सकती हैं जहां से यह बस स्टैंड के लिए निकली थी।

शर्तें कड़ी- डीजल भारी
ट्रांसपोर्ट कंपनियां यह तो मान रही है कि कोरोना संक्रमण का भय भारी पड़ रहा है लेकिन इससे भी भारी पड़ रही है बस संचालन को लेकर शर्तों का बेहद कड़ा होना। तीसरी वजह है डीजल की रोजाना बढ़ती कीमतें और अंतिम बाधा है यात्री किराए में बढ़ोतरी की अनुमति का नहीं दिया जाना। इन सभी कारकों ने मिलकर बस संचालन की पूरी प्रक्रिया तहस-नहस करके रख दी है। इसके बावजूद प्रदेश स्तर पर हुई बैठक और फैसले के बाद बसों का संचालन शुरू करने को लेकर मंजूरी दी गई थी लेकिन सवारियां अभी भी नहीं मिल रही है।

इस पर अभी तक चुप्पी
ट्रांसपोर्ट कंपनियां सरकार के उदासीन रवैया से बेहद हताश है। संचालन शुरू होने के तीसरे दिन ही संकेत मिलने लगे थे कि सवारियां नहीं मिलेंगी। इसलिए निर्धारित संख्या की तुलना में आधी क्षमता में यात्री बिठाने के लिए किराया बढ़ाने की अनुमति मांगी। पत्राचार भी किया गया था लेकिन जवाब अब तक अनुत्तरित है। इससे भी ट्रांसपोर्ट कंपनियां हताश हो चली है। कंपनियां बसों के संचालन में अभी भी इनकार नहीं कर रही है। चलाना चाहते हैं यदि किराया बढ़ाने की अनुमति दे दी जाए लेकिन इस पर चुप्पी साध ली गई है।

यहां के लिए चलती है बसें
भाटापारा से 9 जगहों के लिए यात्री बसों का संचालन किया जाता है। इसमें बलौदाबाजार, बेमेतरा, मुंगेली, बिलासपुर, कसडोल ,करही बाजार, पांडातराई और खरोरा के लिए बसें चलती है। 7 जुलाई से चालू हुई बसें संचालन के हर दिन यात्रियों की प्रतीक्षा करती है लेकिन वह नहीं मिल रहे है। जो मिल रहे हैं उनकी संख्या इतनी कम है कि संचालन रोकने का संकेत मिल रहा है।

यहां लौटने लगी रौनक
इन सभी शहरों के अलावा 20 किलोमीटर के दायरे में चलने वाली टाटा मैजिक और डीजल ऑटो को सवारियां मिलने लगी है। और टैक्स भी काफी कम है और कम दूरी के लिए चलती हैं इसलिए इन्हें सवारियां मिल रही है और दौड़ भी रही है। बसों में यात्री संख्या के मानक तय करने का लाभ इन छोटी गाड़ियों को मिल रहा है।

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