भाटापारा- बड़ा संकट! तैयार होती सब्जी की फसलें अब पानी मांग रहीं हैं लेकिन बोर के अंतिम छोर की ओर तेजी से खिसकता पानी चिंता में डाल रहा है। जो बोर चल रहे हैं उनकी धार पतली होने लगी हैं या रुक-रुक कर पानी दे रहे हैं। यह दृश्य तेजी से फैलाव ले रहा है। संकट बड़ा जानकर सब्जी बीज की खरीदी से तेजी से किनारा किया जाने लगा है।
रबी सत्र में धान की फसल लेने का लालच भारी ही नहीं, बेहद भारी पड़ने लगा है। ऐसे किसानों का मोह, जल संकट के रूप में तेजी से सामने आ रहा है। ब्लॉक के आधा दर्जन गांव भीषण जल संकट से बहुत जल्द सामना करते हुए दिखाई देंगे। सब्जी उत्पादक गांव के रूप में पहचान बना चुका ग्राम टिकुलिया, टेहका, तरेंगा और रोहरा में धार के पतले होने की खबर से अब विभाग चिंता में आ चुका है तो सब्जी उत्पादक किसानों ने बीज दुकानों से दूरी बनानी चालू कर दी है। ऐसे में आने वाले माह पानी संकट और कमजोर सब्जी उत्पादन के रूप में दिखाई दे सकते हैं।

फैलने लगा सन्नाटा
शिवनाथ के तट पर बसा ग्राम सिमरिया, देवरी और गुड़ाघाट की भी पहचान सब्जी उत्पादक गांव के रूप में रही है लेकिन नदी तट पर बसे होने के बावजूद इन गांवों में भी सन्नाटा फैलता नजर आने लगा है। पूरे साल सब्जी की मांग को पूरा करने वाला टिकुलिया का दम निकलने लगा है क्योंकि भूजल स्तर हर दिन कम होता जा रहा है। भाटापारा-निपनिया मार्ग पर बसा ग्राम सूरजपुरा, दतरेंगी, कड़ार, लेवई और अकलतरा में हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं क्योंकि सबमर्सिबल पंपों के बंद होने की जानकारी तेजी से पहुंचने लगी है।

बीज खरीदी जीरो
संकट को देखकर अब सब्जी उत्पादक किसानों ने बीज की खरीदी लगभग बंद कर दी है। पूरा ध्यान उस तैयार फसल को बचा लेने की है जो अब अंतिम पानी मांग रही है लेकिन धार का पतला होना या टूटना, चिंता में डाल रहा है कि हाथ आई फसल कैसे बचाई जा सकती है? यह अपने आप में उस आगत संकट की ओर इशारा कर रहा है जो मांग की तुलना में सब्जी की कमजोर आपूर्ति के रूप में दिखाई दे सकता है।

लालच जो पड़ी भारी
भूजल स्तर यदि गिर रहा है तो उसकी सबसे बड़ी वजह वे किसान हैं जिन्होंने बड़े रकबे में रबी सत्र में धान की फसल ली हुई है। गर्मी के दिनों में वैसे भी भूजल स्तर का गिरना प्राकृतिक वजह रही है लेकिन एकदम से पाताल में जाने जैसी समस्या नहीं रही। अच्छी कीमत की लालच में ली गई धान की फसल ने अब पूरे क्षेत्र को संकट में डाल दिया है क्योंकि पेयजल की कमी ने दस्तक दे दी है। संकट से बचने के प्रयास अतिरिक्त पाइप डालकर किए जाने तो लगे हैं लेकिन आने वाले दिन कैसे रहेंगे उसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है।