@संदीप जायसवाल
भैसा- क्षेत्र में खरीफ फसलों केे विभिन्न तरह की बीमारियों के प्रकोप से परेशान हैं। फसल में बीमारी लगने से पौधा को खराब होते देख किसानों के चेहरे पर मायूसी देखी जा रही है। किसानों के अनुसार वे खेतो में आ रही विभिन्न बीमारियों के लिए दवा का छिड़काव तो कर रहे है लेकिन कोई खास असर नहीं होने की वजह से वे परेशान हो चुके है। उल्लेखनीय है की भैंसा अंचल से लगे हुए विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर धान की खेती होती है। जहां पर क्षेत्र के किसान ज्यादातर खरीफ की फसल लेते है वहीं इस वर्ष अच्छी बारिश होने पर किसानों ने अपने खेतों में धान की फसल लगाई। धान की फसल बोआई के बाद लगातार अच्छी बारिश होने के बाद खेत में लगा धान का पोधों में बीज आने सुरू होकर लहलहाने लगा। इसी बीच जहां बारिश की वजह से कई किसानों का फसल खेतो में सो गए जिससे की किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी ओर रही सही कसर खेतो में आ रही बीमारियों ने पूरी कर दी है। समीप के खपरी गांव के युवा किसान महेंद्र वर्मा सहित कई किसानों ने बताया की फसलों में इस वक़्त तना छेदक, ब्लास्ट, पत्ता मोड़ बीमारी ने परेशान किया हुआ है ।तीन से चार बार हो गया दवाई का छिड़काव करते फिर भी समस्या यथावत बनी हुई है। पहले तो लगातार हो रहे बारिश ने परेशान कर दिया, अभी धान का बाली भी ठीक से नहीं निकला है। कि फिर इन बीमारियों ने परेशान कर दिया है। तरह- तरह की बीमारियां आने की वजह से खेतों में लगे धान की पत्ते मुरझाने लगे हैं। तना सूखने लगे हैं। वहीं बारिश की वजह से खेतो में गिरे धान के फसलों के बीच पानी भरे होने की वजह से पोंधो के गलने की चिंता सता रही है। इससे किसान चितित व परेशान हैं।

दवाई दुकानों में पूछ कर डाली जा रही है खेतो में दवाई, क्षेत्र के किसानों के बीच नहीं पहुंच रहे है कृषि अधिकारी
किसान इस वक्त अपने खेतो में आई बीमारी को दूर करने हेतु आवश्यकतानुसार दवा खरीदकर छिड़काव करने में लगे हैं। बावजूद शिकायत दूर नहीं हो रही है। कृषि विभाग की ओर से ऐसे किसानों को कोई लाभ या परामर्श भी नहीं दिया जा रहा है। इस कारण किसान संकट के बीच खुद जूझ रहे हैं।
“इस समय किसानो के बीच पहुंच कर फसलो में आ रही बीमारियों के रोकथाम के लिए जानकारी दी जा रही है ।किसान भुरा माहों के रोकथाम के
डिनोटेफुरन ओसिन 70 ग्राम प्रति एकड़ और तना छेदक के लिए करटॉप हाईड्रोक्लोराइड 400 एमएल प्रति एकड़ और लीफ फोल्डर (चितरी) के प्रोपिकोनाजोल 250 एमएल प्रति एकड़ उपयोग में लाकर रोकथाम कर सकते है।”
चेतन देवांगन
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
कुम्हारी-खपरी परिक्षेत्र