रायपुर- किसान पुत्र सीएम भूपेश बघेल के सामने केंद्र सरकार एक बड़ी अड़चन खड़ी करने में कामयाब हो गया है। अपनी सूझबूझ और आक्रामक छवि के चलते राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार, छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीत सत्र में विपक्ष, भारतीय जनता पार्टी पर भारी रही। लेकिन, छत्तीसगढ़ भाजपा के संगठन के इशारे पर ही शायद केंद्र सरकार, छत्तीसगढ़ सरकार की कई-कई चिट्ठियों के बाद भी सेंट्रल पूल में उसे और अरवा और उसन-

ऐसे में, समर्थन मूल्य पर धान खरीद रही, छत्तीसगढ़ सरकार के सामने एक बड़ा संकट तो है। राज्य में धान खरीद का सिस्टमैटिक शुभारंभ कांग्रेस के ही मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने किया था। तब आईएएस ऑफिसर बीकेएस रे साहब ने कोलकाता में खुद खड़े होकर बारदानों की खरीदी की थी।राज्य में अलग दल की सरकार और केंद्र में अलग दल की सरकार हो, तब, मोटे तौर पर मतभेद के आरोप एक- दूसरे पर लगाए जाते रहे हैं। लेकिन, शायद यह पहला मौका है जब केंद्र ने किसी राज्य सरकार को धान के भंडारण के लिए इतने लंबे दिनों तक, लम्बे समय के लिए लटका दिया हो।मौजूदा संकट से निबटने के लिए लोकप्रिय भूपेश सरकार ने कमर कस ली है।

भूपेश सरकार ने यदि बारदानों की आपूर्ति और सेंट्रल पूल में धान (उसना और अरवा) जमा करने की अनुमति नहीं दी तो, पूरा मंत्रिमंडल दिल्ली में प्रदर्शन करेगा। इस तरह की रणनीति बना ली है।दिल्ली में प्रदर्शन से पहले, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को छत्तीसगढ़ सरकार और छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने लपेट लिया है।

डॉ. रमन सिंह, प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी से छत्तीसगढ़ राज्य और राज्य के किसानों के हक में क्या दो टूक बात करेंगे? बयानों/मीडिया के जरिए पूछा है, भूपेश सरकार और छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने।इन्ही दो अहम मुद्दों को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और छत्तीसगढ़ राज्य के लोकप्रिय एवं यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संग हुई बातचीत ने भी, मीडिया में, सुर्खियां बटोरी हैं।

राज्य के लोकप्रिय एवं यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को स्वागत भाषण करते हुए रायगढ़ कलेक्टर ने बताया कि पढ़ाई तुंहर द्वार योजना में सबसे अच्छा परफॉर्मेंस रायगढ़ जिले का है। इस योजना में पढ़ रहा हर पांचवा बच्चा रायगढ़ का है। कोविड19 के दौर में राशन कार्ड में 9000 सदस्यों के नाम जोड़े गए हैं। जिले में स्व- सहायता समूहों का बड़े पैमाने पर गठन किया जा रहा है।

स्व सहायता समूह की महिलाओं के जरिए ही शासन की बहुत सी योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में सैनिटरी नैपकिन की पहुँच आसान बनाई जा रही है।कोरोना काल में जब आंगनबाड़ी केंद्र भी बन्द थे। तब एक सप्लाई सिस्टम बनाकर गर्म भोजन टिफिन के जरिए हितग्राहियों के घर-घर भेजा गया।जिसके चलते 9000 बच्चे और 6000 महिलाएं एनीमिया से मुक्त हुई।
जहां साल 2019 में महिला और बच्चों के कुपोषण प्रतिशत 23 था। साल 2020 में जिला प्रशासन ने कोशिश करके 8% गिरा कर, कुपोषण को 15 प्रतिशत तक ला पाने में कामयाबी हासिल की है। 6000 नए जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा में बड़े पैमाने पर काम दिए जा रहे हैं। इसी दौर में 400 सामुदायिक वन अधिकार पत्र बांटे गए हैं।
डीएमएफ और सीएसआर के माध्यम से करोड़ों रुपए के काम किए जाने हैं। प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रिनोवेशन किया जा रहा है और ईलाज के लिये ज़रूरी नई नई मशीनें खरीदी जा रही/ जानी है। हाल के दिनों में दो अस्पतालों में एक्स रे मशीन लगाई गई है। चार मोबाइल मेडिकल यूनिट के जरिए हाट बाजारों में आए लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। बड़े पैमाने पर हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं,राज्य शासन के नरवा कांसेप्ट में काम करते हुए 327 लोगों को निजी बाड़ी के लिए जरूरी सहायता दी गई है।
सामुदायिक बाड़ी के लिए भी बड़े पैमाने पर महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप को मदद दी गई है। इस मौके पर कलेक्टर रायगढ़ ने सीएम श्री भूपेश बघेल को यह भरोसा दिलाया कि वो और उनकी टीम राज्य शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने दिन रात एक कर देंगे।

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