भाटापारा- कॉम्पिटिशन। ऐसा शब्द जिसे बोलते और सुनते ही दो चीजों की आकृतियां आंखों के सामने आ जाती हैं। मैडल और शील्ड। मेरठ और कोलकाता में बनने वाली इन दोनों की कीमतों में प्रति नग 7 से 15 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। कारण यह कि कोरोना काल में स्थानीय खेल खूब हो रहे हैं। स्कूली गतिविधियां भी पटरी पर लौटने लगी हैं। इसलिए भी मैडल और शील्ड की मांग आ रही है और इसलिए भी, क्योंकि ग्रामीण स्तर पर भी खेल गतिविधियों में तेजी आने लगी है।

स्कूलें जान लें, खेल गतिविधियों के समापन के बाद पुरस्कार वितरण में मैडल और शील्ड के लिए अतिरिक्त रकम की व्यवस्था करनी होगी। खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने वाली समितियों को इस बार पुरस्कार के रुप में दी जाने वाली सामग्री मैडल और शील्ड की खरीदी के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे क्योंकि इन दोनों की कीमतों में 7 से 15 प्रतिशत तक की तेजी आ चुकी है। यह तेजी बढ़ ही रही है क्योंकि निर्माण करने वाली मेरठ और कोलकाता की यूनिटों में पर्याप्त संख्या में कुशल हाथ और कच्ची सामग्रियों की बेतरह कमी है।

इसलिए महंगा मैडल और शील्ड
खेल प्रतियोगिताओं में सबसे ज्यादा मांगा जाने वाला मैडल इसलिए महंगा हो रहा है क्योंकि इसके लिए तुरंत ऑर्डर दिए जाते हैं। यूपी के मेरठ और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बनने वाले यह मैडल केवल ऑर्डर पर ही तैयार होते हैं। सप्लाई के लिए समय नहीं मिलने से इन्हें ज्यादा माल भाड़ा दिया जाकर गंतव्य तक पहुंचाने की भी व्यवस्था करनी पड़ती है। जबकि शील्ड के लिए जरूरी प्रजाति की लकड़ी की उपलब्धता मांग के अनुपात में आधी ही हो पा रही है। इसलिए आर्डर पूरा करने के लिए ज्यादा कीमत चुका कर शील्ड के लिए जरूरी प्रजाति की लकड़ियां मंगाई जा रही हैं।

7 से 15 प्रतिशत महंगा
एक से चार इंच तक की साइज वाले मैडल में लगभग सभी आकार के मैडल की मांग समान है। प्रति मैडल 10 से 20 रुपए में बिक रहे मैडल की कीमतों में 7 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है। रॉ-मटेरियल की कीमतें तो स्थिर हैं लेकिन परिवहन व्यय में बढ़ोतरी के बाद इसकी भी कीमत बढ़ रही है। जबकि शील्ड बनाने वाली ईकाईयों को जरूरी प्रजाति की लकड़ियों की खरीदी पर 5 से 10 प्रतिशत ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। इसलिए इसमें निर्माण लागत 15 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। इसके असर से खुदरा बाजार में भी खरीदी महंगी पड़ रही है। इस समय आकार के हिसाब से सबसे छोटा शील्ड 50 रुपए और सबसे बड़ा शील्ड 1700 रुपए में बेचा जा रहा है। मध्यम आकार के शील्ड की कीमतों में भी हाल कुछ ऐसा ही है।

“परिवहन व्यय और जरूरी कच्ची सामग्री के लिए पहले की तुलना में ज्यादा पैसे देने की वजह से मैडल और शील्ड में तेजी आ चुकी है। यह तेजी आने वाले दिनों में भी बनी रहने की संभावना है।”
मानव वर्मा

संचालक, श्री स्पोर्ट्स, भाटापारा

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