भाटापारा- बल नहीं टूटे हैं। तेवर बरकरार है। जी हां, बात हो रही है उस बारदाना की, उस सुतली की, जिसने पूरे तीन माह हलाकान और परेशान कर रखा था किसानों को। अब एक बार फिर से दोनों में तेजी के संकेत मिलने लगे हैं क्योंकि रबी फसल के लिए किसानों की मांग फिर से पहुंचने लगी है। जैसे आसार दिखाई दे रहे हैं उसे देखते हुए तेजी, आगे भी बनी रहने की संभावना है।
बारदाना और सुतली। खरीफ और रबी, दोनों सत्र में बराबर मांग में बनी रहने वाली ऐसी वस्तु है जिसे पहली बार स्ट्रीट वेंडरों के जरिए बिकते हुए देखा गया। यह भी पहली बार देखा गया कि मरम्मत करके भी फटे-पुराने बारदाने बेचे जा सकते हैं। आलू, प्याज, आटा, सूजी, मैदा और शक्कर के बैग खूब खरीदे और बेचे गए। हद तो तब हुई, जब पशु आहार के बैग भी बारदाना बाजार में जगह बनाने में सफल रहे। अब एक बार फिर ऐसे ही आसार बनते दिखाई दे रहे हैं क्योंकि रबी फसल के भंडारण के लिए किसानों की मांग पहुंचने लगी हैं।

30 था 30 है
थर्ड हैंड जूट बैग के तेवर अब भी गर्म बने हुए हैं। खरीफ फसल के लिए किसानों ने इसकी प्रति नग की खरीदी पर 30 रुपए खर्च की थी। अब रबी फसल के लिए भी 30 रुपए ही प्रति नग की खरीदी पर खर्च करने होंगे। मात्रा भले ही खरीदी की तुलना में 50 फ़ीसदी कम लगने की संभावना है लेकिन मांग की आंच से थर्ड हैंड जूट बैग तपने लगा है क्योंकि दलहन और तिलहन की फसल के लिए खरीदी ने दस्तक दे दी है।

यह भी पीछे-पीछे
जूट बैग के बाजार में चार से पांच बार उपयोग के बाद पहुंच रहा जूट बैग भी थर्ड हेंड के पीछे-पीछे चल पड़ा है। खरीफ फसल के लिए 23 से 28 रुपए प्रति नग की दर पर खरीदा गया यह बैग अब 8 से 10 रुपए की टूट के बाद 15 से 21 रुपए प्रति नग पर पहुच चुका है। इसमें भी मांग का दबाव बढ़ता हुआ देखा जा रहा है क्योंकि वजन में हल्की उपज के लिए इसे सही माना जा रहा है।

बल है बरकरार
बारदाने के बाद दूसरी अहम चीज मानी जाने वाली सुतली के बल अब भी बरकरार हैं। 10 रुपए की टूट के बाद यह 110 से 115 रुपए किलो के आसपास ही ठहरा हुआ है लेकिन चिल्हर बाजार में यह अभी भी पुरानी ही कीमत पर बेचा जा रहा है। स्टाकिस्टों की खरीदी-बिक्री का काम जोर पकड़ने लगा है इसलिए तेजी आगे भी बनी रहने की पूरी संभावना है।

नया अब भी 70 पर
नया जूट बैग अपनी पुरानी स्थिति पर मजबूती के साथ जमा हुआ है। इसमें 70 रुपए की कीमत, अभी भी बोली जा रही है। तेवर जैसे बने हुए हैं उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि मंदी की उम्मीद तो छोड़ ही दें क्योंकि यह अब भी कमजोर आपूर्ति के साथ बाजार पहुंच रहा है याने 70 रुपए की कीमत आगे भी बनी रहेगी।