दुर्ग- को 2023 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में विलियम जे क्लिंटन फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्य करने की योजना शुरु की है। इसकी शुरुआत दुर्ग जिले से करते हुए टीबी मरीजों की त्वरित पहचान, जांच व उपचार उपलब्ध कराने के लिए प्रोजेक्ट- ADITYA- Accelerating Diagnosis In Initiation of TB Treatment through YOUR Action का क्रियान्वयन किया जाएगा। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत क्षय उन्मूलन के लिए निजी चिकित्सक, आयुष चिकित्सक एवं केमिस्ट की सहभागिता भी सुनिश्चत की गयी है ताकि निजी चिकित्सकों के यहाँ इलाज़ कराने वाले टीबी के मरीजों को भी चिन्हित कर उनका बेहतर इलाज़ कराया जा सके और टीबी के सभी मरीजों को जल्द से जल्द चिन्हित किया जा सके।
इस अवसर पर राज्य क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. वाई. के. शर्मा ने कहा, “यह प्रोजेक्ट निश्चित रूप से टीबी उन्मूलन में सहायक होगा एवं दुर्ग जिले को टीबी मुक्त करने में मुख्य भूमिका निभाएगा। उन्होंने जिले के समस्त चिकित्सकों, केमिस्ट एवं आयुष चिकित्सकों को टीबी के मरीजों के पहचान एवं पहचान पश्चात उपचार के लिए सहयोग की अपील की। इस प्रोजेक्ट के शुरु होने से निजी क्षेत्रों के अस्पतालों में भी मरीजों को निःशुल्क एक्सरे, सीबी नॉट, बलगम जांच और दवाईयों के माध्यम से उपचार में विशेष सहयोग किया जायेगा, चिकित्सक, आयुष चिकित्सकों एवं केमिस्ट के द्वारा जारी किए गए वाउचर के माध्यम से निजी अनुबंधित स्क्रिनिंग एवं जांच केन्द्रों में निः शुल्क X-Ray की सुविधा प्रदान की जायेगी। केमिस्ट एवं आयुष चिकित्सकों के माध्यम से जारी किए गए वाउचर के द्वारा एक निजी चिकित्सक या विशेषज्ञ के पास नि: शुल्क परामर्श सुनिश्चित किया जाएगा। निजी फार्मेसी में निःशुल्क टीबी की दवाई मरीजों के घर के निकट में ही उपलब्ध हो सकेगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गंभीर सिह ठाकुर ने कहा, “प्रोजेक्ट ADITYA एक अच्छी पहल है इसके द्वारा निजी क्षेत्रों में टीबी मरीजों को निःशुल्क जांच एवं इलाज की महत्वपूर्ण सुविधा मिलेगी एवं यह दुर्ग जिले में टीबी के उन्मूलन में एक मील का पत्थर साबित होगा एवं मरीज के साथ -साथ निजी चिकित्सकों को भी इस प्रोजेक्ट की सहायता से टीबी के मरीजों को निक्षय पोर्टल में रिपोर्ट करने में आसानी होगी”।
जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ अनिल शुक्ला ने कहा, “दुर्ग जिला राज्य के टीबी उन्मूलन-2023 के लक्ष्य के अनुरूप टीबी बीमारी के आगे प्रसार को रोकने, शीघ्र निदान और उपचार की रणनीति पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा, सही समय पर जांच व उपचार होने से टीबी का मरीज जल्द स्वस्थ हो जाता है”।
डॉ. शुक्ला ने बताया, “निजी क्षेत्र से वर्तमान में टीबी अधिसूचना जिले में 45 प्रतिशत है जो कि अब ADITYA प्रोजेक्ट के बाद निश्चित रूप से बढ़ेगी। यह प्रोजेक्ट टीबी की जांच एवं उपचार के लिए काफी कारगर सिद्ध होगा। यह पहल निश्चित रूप से क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को सही दिशा प्रदान करते हुए दुर्ग में टीबी के कुप्रभाव को समाप्त करने में मदद करेगी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जय तिवारी ने कहा, जिले को टीबी मुक्त करने के लिए एसोसिएशन के द्वारा भरपूर सहयोग प्रदान किया जाएगा”।
ADITYA प्रोजेक्ट के प्रोग्राम ऑफिसर डॉ. रोहित बघेल ने बताया, “टीबी के उपचार के लिए निरन्तर काउंसलर एवं टेली-काउंसलर के द्वारा प्रत्येक मरीजों से सीधा संपर्क स्थापित किया जाएगा। इसके लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया जायेगा। प्रत्येक मरीजों की पहचान होने के पश्चात उसके सम्पूर्ण उपचार तक सहयोग करते हुए टीबी रोग से मुक्ति की निगरानी की जाएगी”।
इस कार्यक्रम में खाद्य एवं औषधि प्रशासन के सहायक औषधि नियंत्रक बी. आर. साहू, दवा विक्रेता संघ अध्यक्ष चंचल सेठिया, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विवेकन पिल्लई, चेस्ट फिजिशियन डॉ. राघवेन्द्र वर्मा, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ एम् राजशेखर, एमडी मेडिसिन डॉ संध्या नेमा, डॉ राजीव चंद्राकर, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ आर एस नाईक, रेडियोलाजिस्ट डॉ सौरभ साव, डब्लूएचओ मेडिकल कंसलटेंट डॉ रोचक सक्सेना, आयुष चिकित्सक डॉ सतीश राजपूत, डिस्ट्रिक्ट मेनेजर NUHM तुषार वर्मा, रीच संस्था के सदस्य, टीबी चैंपियन सुश्री हिमानी वर्मा, संजना वर्मा, मनोज सिंह -ऑपरेशन लीड, सुश्री श्रुति गोयल एवं समस्त टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में कार्य करने वाले अन्य अस्पतालों के प्रतिनिधि उपस्थित रहें।

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