बलौदाबाजार/भाटापारा- बाढ़ में फंसे लोगों को सकुशल अस्थाई ठिकानों में लाने के बाद अब पानी उतरने का इंतजार है। यह इसलिए कि पानी के उतरने के बाद ही नुकसान की सही तस्वीर साफ हो पाएगी। यह तस्वीर नदी किनारे के तटीय खेतों के नदियों में बह जाने की होगी या फसलों की या फिर बहाव के साथ बहकर आई रेत के भर जाने की होगी। जिला प्रशासन इसके लिए विशेष प्लान के साथ तैयार है क्योंकि आपदा प्रबंधन में जान बचाने के बाद माल बचाना दूसरी अहमियत रखती है।

बारिश बंद हो चुकी है। बादलों से भरे रहने वाले आसमान से सूरज की तीखी किरणें जमीन तक पहुंच रही है। बांधों के गेट खुलने के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ा तो है लेकिन बहाव का खुला रास्ता धीरे धीरे आवाजाही के बंद रास्ते भी खोलता जा रहा है। इसी के साथ जल स्तर का कम होना भी चालू हो चुका है। तेज बारिश के बाद नदियों का पानी आबादी तक पहुंचने के बाद प्रभावित लोग अस्थाई कैंप तक पहुंचा दिए गए है। अब इंतजार उस दिन का है जब फसलों और खेतों की रुला देने वाली तस्वीरें आने लगेंगी। किसी खेत में फसलें जमींदोज होती दिखेंगी तो किसी में फसल की जगह रेत दिखाई देगी तो कहीं तटीय इलाकों के खेत फसल समेत नदियों में समा चुकी होंगी।

आएंगे ऐसे दृश्य
लगातार तीन दिन की बारिश के बाद नदियां उफान पर है तो जलाशय और बांधों के गेट खोले जा चुके हैं। नदियों का पानी जब वापस अपनी जगह लौटेगा तब सही तस्वीरों का सामने आना चालू होंगा। कहीं फसलें पूरी तरह खत्म हो चुकी होंगी ।कहीं बचाव के सारे रास्ते बंद हो चुकी होंगी ऐसी स्थितियों में नदियों की रेत खेतों में भी आने की समस्या आम है। नदियों के तटीय इलाकों के खेतों के बह जाने का दर्द वे किसान ही जानते हैं जिन्होंने इसे खोया होगा। प्रशासन अब ऐसी ही कई समस्या से निपटने के उपाय के साथ तैयार है।

प्रावधानों के तहत मदद
बाढ़ का पानी उतरने के बाद फसलों के लिए इस तरह की समस्या जिसमें, खेतों में रेत भर जाने और तटीय इलाकों के खेतों का नदियों में समा जाने के बाद राहत के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसकी अलग अलग श्रेणियां है। जिसके तहत ऐसे प्रभावित इलाकों के प्रभावित किसानों की मदद की जाएगी। प्रशासन ने इसके लिए अभी से कार्यबल का गठन कर दिया है तो गांवों तक सूचना पहुंचा दी गई है कि बाढ़ का पानी उतरने की सूचना तत्काल दें ताकि प्राकृतिक आपदा से ऐसे नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाया जा सके। राजस्व और कृषि विभाग को अलर्ट पर रखा जा चुका है कि सूचना मिलते ही सर्वे का काम तत्काल चालू करें और प्रावधान के मुताबिक राहत का प्रस्ताव भेजे।

सबसे कठिन यह काम
प्रशासन ही नहीं सरकार के लिए भी ऐसी आपदा के बाद सबसे कठिन काम है तटीय इलाकों का बह जाना। इसमें खेत मकान और बाड़ियां मुख्य है। बहाव के साथ खेतों की पूरी मिट्टी अपने साथ बहा ले जाने के बाद ऐसे खेतों को उनकी मूल संरचना में वापस लौटाना ना केवल कठिन काम है बल्कि चुनौती भी है क्योंकि इस काम के लिए भारी संसाधन की जरूरत होती है। इसमें मानव बल तो लगता ही है साथ ही मशीनों के उपयोग की भी जरूरत पड़ सकती है फिर भी गारंटी नहीं है कि मूल स्वरूप में यह खेत आ आएंगे क्योंकि खेतों में जल भराव, निकासी और मिट्टी चयन जैसी अनेक बातों का ध्यान रखना होगा। इसकी क्षमता केवल और केवल प्रकृति के पास ही है।

“बाढ़ का पानी पूरी तरह उतरने के बाद ही नुकसान की सही तस्वीर साफ हो पाएगी। इसके बाद प्रावधान के अनुसार ही राहत या मदद दी जा सकेगी।”
सुनील कुमार जैन

कलेक्टर, बलौदाबाजार

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