रायपुर- भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक रिश्तों का लाभ छत्तीसगढ़ को भी मिलने जा रहा है। पहली बार यह रिश्ता वनोपज के कारोबार से बन रहा है। रमतिल नाम है उस वनोपज का जिसकी पहली विदेशी खरीद अमेरिका करने जा रहा है। 5500 से 5600 रूपए क्विंटल की दर पर इसकी खरीदी वनोपज संग्राहक से निर्यातक करने लगे हैं। खरीदी की जो पहली मात्रा छत्तीसगढ़ के हिस्से में आई है उसके बाद इसमें और तेजी की भरपूर संभावना है।

रमतिल। चरोटा के बाद दूसरी ऐसी वनोपज जिसे विदेशों में जगह मिलने जा रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि चरोटा की खरीदी चार देश करते हैं और रमतिल को केवल एक ग्राहक मिला है लेकिन शुरुआत जिस महाशक्ति से हो रही है उसके बाद रमतिल के आने वाले दिन अच्छे होने की पूरी संभावना है। वैसे घरेलू क्षेत्र भी अच्छी खासी मात्रा में खरीदी फूड ऑयल बनाने के लिए किया करते हैं लेकिन अपनी शर्त और अपनी कीमत पर। अब बदली परिस्थितियों के बाद घरेलू खरीददारों को बहुत जल्द अपनी रणनीति बदलनी होगी क्योंकि उसका मुकाबला महाशक्ति से होने जा रहा है।

यहां से जाएगा छत्तीसगढ़ का रमतिल
गुणवत्ता के लिहाज से अमेरिकी कंपनियों ने सरगुजा के रमतिल को पहले स्थान पर रखा है। राज्य के दूसरे जिलों से भी यह जाएगा लेकिन प्राथमिकता सरगुजा को ही दिए जाने की सूचना निर्यातकों तक पहुंचा दी गई है। इस समय सरगुजा में खरीफ फसलों की कटाई के बाद रमतिल की देख-रेख अच्छी तरह की जा रही है क्योंकि इसकी खेती व्यवसायिक रूप नहीं ले सकी है इसलिए यह मेड़ से नीचे खेतों तक नहीं पहुंच पाया है।

झारखंड से भी लिया सहयोग
गुणवत्ता के मापदंड में झारखंड का रमतिल भी समान पाया गया है। छत्तीसगढ़ के निर्यातक इस राज्य से भी सरगुजा के रास्ते खरीदी कर रहे हैं। कीमत भी वही दी जा रही है जो छत्तीसगढ़ के संग्रहकों को दी जा रही है। भाव अच्छे मिलते देखकर झारखंड के साथ छत्तीसगढ़ में अब संग्रहण को लेकर रुझान बढ़ता दिखाई दे रहा है। फिलहाल यह सरगुजा संभाग में ही ज्यादा दिखाई दे रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यह अन्य जिलों में भी बढ़ सकता है।

पहला करार 1000 टन के लिए
अमेरिका ने भारत से भारतीय रमतिल का जो करार किया है उसमें छत्तीसगढ़ के हिस्से में 1000 टन की मात्रा आई है। उपलब्धता इससे कम है क्योंकि गुणवत्ता की शर्तें बेहद कड़ी है। पहला करार होने की वजह से निर्यातक पूरा ध्यान रख रहे हैं कि शिकायत का मौका ना मिले। इसलिए झारखंड से भी खरीदी चालू कर दी गई है क्योंकि छत्तीसगढ़ के हिस्से में आई मात्रा को पूरा कर पाना फिलहाल असंभव दिखाई दे रहा है।

बनता है चिड़ियों का आहार
अमेरिकी आसमान पर उड़ने वाली चिड़ियों की कुछ खास प्रजातियों में इसे बेहद चाव से खाया जाता है। पर्यावरण और जीव जंतुओं की देखभाल में बेहद सतर्कता रखने वाला अमेरिका भारत से पहुंचने वाले रमतिल से इनके लिए आहार बनाएगा। वैसे भी रमतिल को पक्षियों के लिए बेहद पौष्टिक माना गया है जबकि भारत में इसका उपयोग खाद्य तेल के रूप में होता है लेकिन मात्रा बेहद सीमित है।

“भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रहे व्यावसायिक समझौते का लाभ छत्तीसगढ़ को भी मिलने जा रहा है। अमेरिका के लिए छत्तीसगढ़ से पहला व्यापारिक समझौता वनोपज रमतिल के लिए किया गया है। प्रारंभिक करार 1000 टन निर्यात का है।”

सुभाष अग्रवाल
संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज,रायपुर

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