भाटापारा- बाबूलाल का साथ चाहिए तो ज्यादा पैसे लेकर घर से निकलें। लाला रामस्वरूप रामनारायण की सेवाएं भी महंगी पड़ेगी। ठाकुर प्रसाद के तेवर भी तेज हो चुके हैं। चौथी सेवा जो काल निर्णय के नाम से मिलेगी उसके लिए भी ज्यादा पैसे निकालने होंगे। जी हां, बात हो रही है उन चिर -परिचित कैलेंडर की जो लगभग हर घर में दिखाई देते हैं।

कोरोना काल में धीरे-धीरे सामान्य होती जिंदगी, पटरी पर लौटता कारोबार का ही हिस्सा कैलेंडर बाजार में रौनक लौटती दिखाई देती है। बुक शॉप, किताबघर, स्टेशनरी दुकानों में आने वाले साल 2021 के कैलेंडर टांगे जाने लगे हैं। अक्टूबर में दिए गए ऑर्डर की सप्लाई तेज हो चुकी है। भले ही बिक्री चालू नहीं हुई है लेकिन पूछताछ का इंतजार कर रहा है यह बाजार। उम्मीद नहीं, पूरा भरोसा है कि इसका बाजार अन्य बाजार की तरह नहीं बल्कि अच्छा जाएगा क्योंकि यह रोजाना की दिनचर्या का जरूरी हिस्सा है।

90 दिन का कारोबार
कैलेंडर वाले बाजार में पंचांग की लगभग पूरी सुविधा इन चारों कैलेंडर से मिल जाती है। कुछ जरूरी बातें भले ही नहीं मिलती लेकिन ज्यादातर का भरोसा इसमें अब भी जमा हुआ है। अक्टूबर के अंत से जनवरी मध्य तक के इस बाजार में मात्र चार ही नाम चलते हैं याने प्रतिस्पर्धा इन चारों के बीच ही है। इसके बावजूद चारों को घरों तक पहुंचने के लिए कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ती।

पहली पसंद बाबूलाल
हर महीने व्रत, त्योहार, शुभ घड़ी, मुहूर्त जैसी सुविधा देने वाले इस परंपरागत कैलेंडर के बाजार में पहली पसंद अब भी बाबूलाल चतुर्वेदी ही है। आकर्षक प्रिंटिंग, पेपर क्वालिटी दूसरों पर भारी पड़ने से यह तीन अन्य प्रतिस्पर्धियों पर हमेशा से भारी पड़ते रहे हैं। जिस मात्रा में ऑर्डर दिए गए हैं वह बाबूलाल की ताकत का ही प्रमाण है। इसलिए इनकी सेवाएं भी महंगी उपलब्ध होंगी।

निर्माण लागत ने बढ़ाई कीमत
कैलेंडर निर्माण के लिए जरूरी क्वालिटी का पेपर, प्रिंटिंग इंक, कुशल हाथ के लिए ज्यादा पैसे तो देने पड़े साथ ही पहली तैयारी याने पंडितों और जानकार व्यक्तियों की सेवा के लिए भी इस बार ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े। इसलिए परंपरागत कैलेंडर निर्माण करने वाली इन कंपनियों को प्रति कैलेंडर की कीमत बढ़ानी पड़ी।

मिलेंगे इस कीमत पर
बाबूलाल चतुर्वेदी का भुवन विजय कैलेंडर इस बाजार का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला कैलेंडर है। यह इस बार 45 रूपये में मिलेगा बीते बरस यह 40 रूपये पर मिल रहा था। लाला रामस्वरूप रामनारायण का 40 रुपए में मिलेगा। यह बीते साल 35 रुपए में घरों तक पहुंचा था। बिहार से प्रिंट होकर आने वाला ठाकुर प्रसाद 40 रुपए में हम तक पहुंचेंगे। काल निर्णय 25 रुपए की जगह 30 रुपए में हम तक पहुंचेगा।

“निर्माण लागत बढ़ने की वजह से यह चारों कैलेंडर बीते साल की तुलना में 5 रुपए महंगा हुआ है। पूछ परख से संभावना है कि बाजार अच्छा रहेगा।”

-बबलू श्रीवास,
संचालक, सुपर बुक डिपो भाटापारा

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