भाटापारा- आशंका।संशय।संभावना। इन तीन शब्दों के भंवर जाल से निकलने की कोशिश कर रहा है खाता बही का बाजार। दीपावली पर दूसरे बाजार की तरह यह भी संभल कर आगे बढ़ रहा है। संभालने के ऐसे ही प्रयासों के बीच 50 फ़ीसदी आर्डर दिए जाने का विचार है। उधर निर्माता कंपनियों ने भी चुप्पी साधी हुई है। एक और बात। शिवाकाशी में बनने वाले लक्ष्मी गणेश और विष्णु का पाना की छपाई तो हो रही है लेकिन उतनी ही संख्या में जितनी मांग को पूरी की जा सके।
ना खाता ना बही। जो बाजार मांगे वही सही। जैसी लाइने इस समय इस बाजार पर पूरी तरह फिट की जा सकती है जिसे दीपावली पर ही देखा जाता है। बात है खाता बही बाजार की। यह इस बार संशय और आशंका के मंडराते बादलों के बीच आ चुका है। छत्तीसगढ़ की मांग के लिए अब राजधानी में ही बनने वाले खाता बही निर्माता अब तक तैयारी चालू नहीं कर पाए हैं। कागजों की खरीदी और दूसरी जरूरी सामग्रियों की खरीदी तो की जा चुकी है लेकिन मात्रा एक झटके में आधी कर दी गई है क्योंकि बाजार से अब तक डिमांड नहीं निकल पाई है। खाता बही बेचने वाली स्टेशनरी दुकानें रुको और देखो जैसी मुद्रा में दिखाई दे रही है।

पहले कंप्यूटर अब कोरोना
पेपरलेस वर्क और एक क्लिक में पूरा हिसाब आंखों के सामने जैसी सुविधा लेकर आया कंप्यूटर पहले ही इस बाजार को तगड़ा झटका दे चुका है। अब कोरोना डरा रहा है। खाता बही अब भी लिखे जाते हैं लेकिन 75 फ़ीसदी काम कंप्यूटर छीन चुका है। जो बचा 25 फ़ीसदी हिस्सा बना हुआ है उस पर कोरोना का वायरस फैल चुका है। इसी कारण खाता बही बनाने और बेचने वाले इस बार खास ग्राहकी की उम्मीद में नहीं है।

संशय और शिवाकाशी
कलर ऑफसेट की अत्याधुनिक यूनिट और पोस्टर तथा कैलेंडर के लिए तमिलनाडु का शिवाकाशी देश भर में प्रसिद्ध है। इस बार यहां ना तो पटाखों के लिए रेपर बन रहे हैं ना दीपावली पर बिकने वाले कैलेंडर की छपाई हो रही है। कोरोना और श्रम संकट का सामना कर रहा यह उद्योग इस समय काम तो कर रहा है लेकिन उतनी ही मात्रा बनाई जा रही है जितनी मांग आ रही है। इसमें लक्ष्मी गणेश विष्णु का पाना भी आ चुका है यानी संशय और संभावना के बीच शिवाकाशी भी आ चुका है।

मिलेंगे इस कीमत पर
खाता बही की बाजार में छोटा खाता 80 से 85 रुपए प्रति नग, बड़ा खाता 500, 600, 650 और 800 रुपए की कीमत में मिलेंगे। इसमें फिलहाल तेजी की आशंका नहीं है क्योंकि मांग जरा भी नहीं पहुंची है। इसलिए खाता बही बनाने वाली इकाइयों ने कीमतें बीते साल वाली ही रखने का मन बनाया हुआ है। इसके बावजूद बाजार में 70 फ़ीसदी गिरावट के प्रबल आसार हैं। मानकर चला जा रहा है कि दीपावली पर लक्ष्मी पूजा तो होंगे लेकिन और दूसरे इंतजाम से किनारा किया जा सकता है।
पहले से ही कंप्यूटर की वजह से खाता बही की बिक्री कम हो चुकी है। बचे हुए बाजार में जैसी संभावना दिखाई दे रही है उसके अनुसार यह गिरकर 30 प्रतिशत पर आ सकता है।
बबलू श्रीवास, संचालक
सुपर बुक डिपो, भाटापारा