नईदिल्ली। Esports Sector भारत में स्पोर्ट्स को लेकर दीवानगी किसी से छिपी नहीं है, फिर वह ई-स्पोर्ट्स ही क्यों न हो। पिछले 5-7 वर्षों में ई-स्पोर्ट्स सेक्टर तेजी से बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2023 तक ईस्पोट्र्स का मार्केट 11,900 करोड़ रुपये तक हो जाने का अनुमान है। कई स्टार्टअप्स भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं…

बालाजी रामनारायण एक प्रोफेशनल डोटा-2 (डिफेंस ऑफ द एंशेंट्स) प्लेयर हैं, जो वर्तमान में भारत के दूसरे नंबर के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले ईस्पोट्र्स एथलीट हैं। चार साल पहले ही इन्होंने ईस्पोट्र्स खेलना शुरू किया और अब तक वह 6 बार ईएसएल इंडिया पार्टनरशिप जीत चुके हैं। वहीं, सारांश जैन देश के शीर्ष टॉप फ्लाइट प्रोफेशनल ईफीफा प्लेयर हैं। इन्होंने भी यूं ही लुत्फ के लिए स्थानीय स्तर पर होने वाले टूर्नामेंट्स में भाग लेना शुरू किया और आज इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसी तरह, वी३नॉम से प्रसिद्ध अंकित पंथ काउंटर स्ट्राइक : ग्लोबल ऑफेंसिव गेम में महारत रखते हैं। इनका अपना यूट्यूब चैनल है, जिसके 62000 से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं।

क्या है इलेक्ट्रॉनिक स्पोट्र्स?: स्पोट्र्स यूनो कंपनी के सह-संस्थापक वरुण राव के अनुसार, ईस्पोट्र्स में एक से अधिक टीमें आपस में ऑनलाइन मुकाबला करती हैं। इसलिए इसे मल्टीप्लेयर ऑनलाइन गेम के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कई प्रकार (रियल टाइम स्ट्रेटेजी, फाइटिंग, फस्र्ट पर्सन शूटर, मल्टीप्लेयर ऑनलाइन बैटल एरेना) के गेम्स होते हैं, जिनमें डोटा-2, ओवरवॉच, काउंटर स्ट्राइक, कॉल ऑफ ड्यूटी, लीग ऑफ लीजेंड्स, फीफा, हर्थस्टोन, स्टारक्राफ्ट लोकप्रिय हैं। हर गेम अलग तरीके से खेला जाता है। इसमें हिस्सा लेने के लिए किसी खास समय का इंतजार नहीं करना होता।

ये साल भर चलते हैं। इनका ऑनलाइन एवं टीवी पर ब्रॉडकास्ट होता है। मैच की कमेंट्री भी होती है। लेकिन इसमें करियर बनाना चाहते हैं, तो किसी एक गेम (मल्टीप्लेयर) को चुनें और उसमें खुद को पारंगत बनाएं। क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर खेलने से पहले स्थानीय टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेते रहें। ऑनलाइन बैटल्स एवं वीडियोज देखने से भी फायदा होगा। इसके अलावा, ईस्पोट्र्स में हिस्सा लेने के लिए कैंडिडेट के पास अच्छा पीसी या कंसोल होना चाहिए। इंटरनेट कनेक्शन जितना स्ट्रॉन्ग होगा, उतना अच्छा। इसके अलावा, क्वालिटी एक्सेसरी, मैकेनिकल की-बोर्ड, माउस की जरूरत भी होगी।

बेसिक स्किल: ईस्पोट्र्स एक प्रोफेशनल स्पोट्र्स हैं, जिसमें करियर के लिए खास तरह के स्किल्स एवं ट्रेनिंग की जरूरत होती है। साथ ही शारीरिक स्र्फूित के साथ मेंटली स्ट्रॉन्ग रहना भी जरूरी है। संभावनाएं: बेटजॉ के अनुसार, ई-स्पोट्र्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। फोब्र्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2014 तक भारत के कुल 245 ई-स्पोट्र्स प्लेयर्स ने विभिन्न टूर्नामेंट्स एवं गेम्स के माध्यम से करीब 1.69 करोड़ रुपये की कमाई की थी। कई देसी कंपनियां इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करती हैं। इस तरह, इसमें करियर ऑप्शन की बात करें, तो यहां दो तरह के मौके हैं। पहला, खिलाड़ी (ई-स्पोट्र्स एथलीट) के तौर पर और दूसरा, इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। आप इंफ्ल्यूएंसर, गेम कमेंटेटर, वॉयस ओवर र्आिटस्ट जैसे अन्य प्रोफाइल्स पर भी काम कर सकते हैं।

ईस्पोट्र्स में अपार संभावनाएं

ईस्पोट्र्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के निदेशक लोकेश सूजी ने बताया कि ईस्पोट्र्स का मतलब है ऑर्गेनाइज्ड वीडियो गेमिंग कॉम्पिटिशंस। ऑनलाइन लूडो, तीन पत्ती, पोकर, रमी, फैंटेसी स्पोट्र्स या सामान्य वीडियो गेम्स ईस्पोट्र्स की श्रेणी में नहीं आते। ईस्पोट्र्स की प्रतिस्पर्धा ऑनलाइन या ऑफलाइन आयोजित की जाती है, जिसे कई डिजिटल प्लेटफॉम्र्स पर देखा जा सकता है। भारत में यह नया नहीं है। पहले भी वल्र्ड साइबर गेम्स आयोजित किए जाते थे, जिन्हें मारुति सुजुकी, सैमसंग जैसी कंपनियां सपोर्ट करती थीं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इनको लेकर क्रेज बढ़ा है। ईएथलीट्स करोड़ों में कमाई कर रहे हैं। नाम और पैसा दोनों है यहां। अब ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया ने भी ईस्पोट्र्स को स्पोट्र्स के रूप में मान्यता दे दी है। आइओसी भी इस पर विचार कर रहा है। भारत में ईस्पोट्र्स को लेकर कोई कोर्स नहीं ऑफर किया जा रहा है, लेकिन युवाओं में ईस्पोट्र्स की लोकप्रियता को देखते हुए स्कूल-कॉलेज प्रबंधकों से बातचीत चल रही है।

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