भाटापारा- 22 वीं तेजी के बाद डीजल आज 80 रुपए पार कर गया। सोमवार को कंपनियों ने जो नई कीमत जारी की उसके बाद अब डीजल पेट्रोल से 56 पैसे प्रति लीटर आगे बढ़कर 80 रुपए 19 पैसे की दर पर विक्रय किया जाने लगा है। इधर पहली बार डीजल के उपभोक्ता वर्ग में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा रही है।
कोई तर्कसंगत कारण नहीं। कोई वजह नहीं बताई जा रही है कि आखिर डीजल की कीमतें हर रोज क्यों बढ़ रही है? पेट्रोल पंप संचालक सोमवार को आई तेजी के बाद पहली बार कुछ परेशान नजर आए क्योंकि उपभोक्ता वाहनों की संख्या में पिछले 3 दिन से आ रही गिरावट के बाद अब इसमें और गिरावट की पूरी आशंका है क्योंकि एग्रीकल्चर सेक्टर में अब कामकाज समाप्ति की ओर है। केवल वही वाहनें चल रही है जिनको आवश्यक सेवा में शामिल किया गया है।

अब इस कीमत पर डीजल
पेट्रोलियम कंपनियों ने सोमवार की सुबह जो नई कीमत जारी की उसके मुताबिक शहर में अब डीजल 80 रुपए 19 पैसे प्रति लीटर की दर पर विक्रय किया जाने लगा है तो पेट्रोल की नई कीमत 79 रुपए 63 पैसे प्रति लीटर होगी। अंतर के आंकड़ों को देखें तो डीजल पेट्रोल से 56 पैसे प्रति लीटर महंगा हो चुका है। इसका असर बहुत जल्द उपभोक्ता सामग्रियों के परिवहन में लगी वाहनों पर दिखाई देगा।

29 जून के बाद, 22 वी तेजी
पेट्रोलियम कंपनियों ने चालू माह के अंतिम सप्ताह के पहले दिन सोमवार यानी 27 जुलाई को जो नई कीमत जारी की उसे मिलाकर जून से लेकर अब तक की 22 वी वृद्धि के रूप में दर्ज किया जा चुका है। कंपनियों ने तेजी की वजह साफ नहीं की है। इससे पेट्रोल पंप संचालकों के सामने परेशानी देखी जा रही है कि आखिर डीजल में तेजी की वजह उपभोक्ताओं को क्या बताई जाए जिससे वे संतुष्ट हो सके।

22 वी तेजी से बढी परेशानी
डीजल की कीमतों में आई तेजी की संख्या गिनी जाए तो यह 22 बार पर आकर ठहरी हुई है। इस तेजी के बाद डीजल अब तक 13 रुपए 01 पैसे महंगा हो चुका है। इस तेजी के बाद अब पहली बार डीजल पेट्रोल को पीछे छोड़ कर 56 पैसे आगे निकल चुका है। जैसे संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक तेजी आगे भी बनी रह सकती है।

कम होने लगी उपभोक्ता वाहनें
कोरोना काल में केवल अत्यावश्यक सेवाओं के लिए बड़े वाहनों को चलाए जाने की अनुमति दी गई है। इसमें सब्जी, दूध, मेडिकल, पशु आहार, दलहन, तिलहन, चावल और पोहा के लिए चलने वाली वाहने ही मुख्य है। इसके अलावा सीमा के भीतर आवाजाही के लिए यात्री बस और कार के साथ डीजल ऑटो भी शामिल है। अब इनकी संख्या तेजी से कम होने लगी है क्योंकि डीजल की बढ़ती कीमतों के बाद माल भाड़ा बढ़ाने और स्वीकार करने में दिक्कत आने लगी है।

यहां भी मांग हुई कम
अभी तक बड़ा सहारा बना हुआ एग्रीकल्चर सेक्टर में कामकाज अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इसलिए इस क्षेत्र से भी डीजल की मांग तेजी से घट रही है। डीजल पेट्रोल पंप संचालकों की माने तो डीजल की मांग में तेजी के बाद 40 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है। ताजा मूल्य वृद्धि के बाद गिरावट का यह प्रतिशत और बढ़ सकता है।