बिलासपुर- तिरंगा, देश की आन-बान-शान और गौरव का प्रतीक। वे नन्हे बच्चे जिनके हाथों में ये लहराया करते थे। नहीं होंगे। 3 दिन बाद आ रहा गणतंत्र दिवस बीते स्वतंत्रता दिवस की ही तरह स्कूलों में सूने माहौल में मनाया जाएगा। यह सूनापन उन दुकानों में भी महसूस किया जाएगा जहां ये पूरे सम्मान के साथ बेचे जाते थे।
मुंबई और दिल्ली तक पहुंचने वाले देश के कोने-कोने से तिरंगा के आर्डर पर पूरी तरह ब्रेक लगा हुआ है। स्वतंत्रता दिवस से तिरंगा निर्माण इकाइयों में लगा ताला अभी भी लगा हुआ है। सिर्फ दो पर्व पर करोड़ों का कारोबार करने वाला यह क्षेत्र उम्मीद का दामन छोड़ चुका है क्योंकि कोरोना का संकट अभी खत्म नहीं किया जा सका है, लिहाजा ऑर्डर नहीं लिए गए। दिसंबर में ही यूनिट में काम नहीं होने की सूचना के बाद बाजार में ना हेयर बैंड होंगे, ना हैंड बैंड और ना कागज से बना तिरंगा होगा।
नहीं दिए इनके आर्डर
मुंबई और दिल्ली की तिरंगा बनाने वाली इकाइयों ने इस बार कोई आर्डर नहीं लिए। इसलिए कोरोना काल के चलते रहने से इस बार गणतंत्र दिवस पर स्टेशनरी दुकानों में कागज से बना तिरंगा नजर नहीं आएगा। तिरंगे हेयर बैंड, हैंड बैंड, कॉलर बैच और टैटू भी नहीं मिलेंगे। स्टेशनरी दुकानों में ही नहीं, जनरल स्टोर्स में भी पूछताछ या खरीदी के प्रयास बेकार जाएंगे क्योंकि स्टॉक में यह हैं ही नहीं।

स्कूलों में छाई वीरानी
कोरोना का काल के बीच गुजरते दिनों में स्कूलों में लगे तालों के 11वें महीने में भी खुलने के कोई आसार नहीं है। इसलिए छाई वीरानी दूर हो पाएगी यह सोचना फिलहाल बेकार की कवायद ही होगी। लिहाजा गणतंत्र दिवस इस बार पूरी तरह वीरानी के बीच मनाया जाएगा क्योंकि जो बच्चे रौनक होते थे वे 11 महीने से स्कूल से दूर हो चुके हैं।

अर्श नहीं फर्श पर
बच्चों और स्कूलों के दम पर, करोड़ नहीं, लाख रुपए का कारोबार करने वाली स्टेशनरी दुकानें फर्श पर आ चुकी हैं क्योंकि स्कूलों के बंद होने के बाद कॉपी-किताब सहित दूसरी स्कूली सामग्रियां बीते 11 माह से दुकानों में ही रखी हुई हैं। अच्छी मांग की थोड़ी बहुत उम्मीद तिरंगे से थी, वह भी टूट चुकी है। इसलिए अर्श पर रहने वाला यह क्षेत्र भी दूसरे कारोबार जैसा ही फर्श पर आ चुका है।
“दिल्ली और मुंबई की इकाइयों को तिरंगा के आर्डर नहीं दिए गए हैं क्योंकि स्कूलें बंद हैं और खरीदी करने वाले स्कूली बच्चे भी नहीं है।”
हिमांशु मिश्रा,
संचालक, श्री महावीर पुस्तकालय, बिलासपुर