बिलासपुर- 12 श्रेणियों में छूट की पात्रता रखने वाले विकलांग रेल यात्रियों और उनके सहयोगियों को अभी भी इंतजार है उस दिन का जब वे इलाज और दूसरे जरूरी काम के लिए रेल यात्रा कर सकेंगे। 15 ट्रेनों के रेल परिचालन की सुविधा चालू होने के बाद उम्मीद अब टूटती दिखाई देने लगी है क्योंकि अब तक इन गाड़ियों से ऐसी सुविधा नहीं मिली है।
कोरोना काल का 10वां महीना चालू लेकिन चालू नहीं हुई है तो वह सुविधा जिसे प्राथमिकता के आधार पर किया जाना था। इस सुविधा में ऐसे रेलयात्री आते हैं जिन्हें विकलांगता के आधार पर रियायती टिकट पर यात्रा की छूट मिला करती थी। अब जब बेहद धीमी गति से यात्री ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा रहे हैं ऐसे में सिर्फ कैंसर रोगियों को ही दी जा रही सुविधा हताश कर रही है क्योंकि जितनी रियायत के हकदार वे हैं उतना अधिकार ऐसे यात्रियों के भी हैं।
सहारे का इंतजार बेसहारों को
रेल नियमों के मुताबिक विकलांग, अस्थि विकलांग, पक्षाघात जैसी 12 ऐसी श्रेणियों में विकलांगों को यात्री ट्रेनों में सहायक के साथ रियायती टिकट जारी होते थे। इनके पास अब केवल इंतजार ही हाथ आ रहा है क्योंकि रियायत पर यात्रा की पात्रता खत्म की जा चुकी है। कब चालू होगी, जैसे सवाल के जवाब कौन देगा? इस पर जिम्मेदारों ने मौन साध लिया है।
लाईन से बाहर
विकलांग यात्रियों को दी जाने वाली ऑफलाइन सुविधा पहले ही दिन से बंद की जा चुकी है। अब ऑनलाइन से भी बुकिंग का ऑप्शन हटा दिया गया है। इसलिए हर कोशिश बेकार साबित हो रही है। विकल्प केवल आरक्षण पर ही यात्रा के रूप में बचा हुआ है जिसके लिए अपने और अपने सहयोगी के लिए पूरे पैसे देने होंगे। याने सामान्य यात्री की ही तरह यात्रा करना होगा जो काफी महंगा पड़ रहा है।
छूट जो बंद हुई
विकलांग यात्रियों को कोरोना काल के पहले तक एसी-1, एसी-2 में यात्रा करने के लिए 50% की छूट के साथ टिकट जारी होते थे। जबकि एसी-3 की टिकट जनशताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस में चेयर कार की सुविधा और 25% की छूट के साथ यात्रा की अनुमति मिला करती थी। रियायत बंद होने के बाद अब केवल कैंसर रोगियों को सहायक के साथ छूट पर यात्रा की अनुमति मिली हुई है। बता दें कि सीनियर सिटीजन, महिलाओं और बच्चों की सुविधा पहले ही वापस ली जा चुकी है।