रायपुर- कुम्हरखान के किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह। 15 अक्टूबर तक इंतजार करें। तैयारी रखें दलहन फसलों की खेती के लिए जरूरी बीज और खाद की ताकि अनुकुल मौसम का लाभ उठा सकें और बाढ़ से नष्ट हो चुकी खरीफ की फसलों से हुए नुकसान की भरपाई कर सके। ध्यान रखें कि अभी धान की दूसरी बोनी से बचें क्योंकि सितंबर माह में भी बारिश की संभावना भारतीय मौसम विभाग जता चुका है।

3 दिन तक बाढ़ के पानी में डूबे रहने के बाद जब पानी वापस शिवनाथ में गया उसके बाद जो तस्वीर सामने आ रही है उसने पूरे गांव को चिंता में डाल दिया है। मदद या राहत तो दूर जिम्मेदार कृषि विभाग की चुप्पी के बाद अब किसानों ने अपने परंपरागत ज्ञान का सहारा लेना उचित समझा है तो राजधानी तक खबर पहुंचने के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने कुम्हरखान को संदेश भेजा है कि वे जल्दबाजी ना करें। अक्टूबर माह तक इंतजार करें और तैयारी रखें रबी सत्र की। इस सत्र में ली जाने वाली फसलें भी सुझाई गई है जिससे दलहन और तिलहन की ऐसी फसलों का लिया जाना उचित होगा जो नुकसान की पूरी ना सही काफी हद तक भरपाई कर सकती है।

रखे तैयारी इन फसलों की
कृषि वैज्ञानिकों ने रबी में जिन प्रजातियों को बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लिए उचित बताया है उस में दलहन में तिवरा, बटरी, मूंग, चना, उड़द और अंकरी को सबसे सही माना है। जबकि तिलहन में सरसों कुसुम और सोयाबीन की प्रजातियां सुझाई गई है। यह भी बताया है कि इन फसलों को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। कम पानी और शीघ्र तैयार होने वाली किस्मों का चयन किसान अपने स्तर पर कर सकते हैं।

विभाग ने साधी चुप्पी
जिले का ग्राम कुम्हरखान बाढ़ के बाद जिस त्रासदी का सामना कर रहा है उसके बाद होना तो यह था कि कृषि विभाग सबसे पहले पहुंचता। फसलों की स्थिति का जायजा लेता। किसानों को मार्गदर्शन देता कि विपदा की इस घड़ी में किसानों को क्या करना चाहिए लेकिन पहुंचना तो दूर विभाग ने बाढ़ प्रभावित इस गांवों के लिए ना तो कोई सलाह जारी की है ना ही मार्गदर्शन दे रहा है। गांव गुस्से में है तो केवल इसलिए कि संकट की इस घड़ी में राहत तो दूर मार्गदर्शन से भी दूरी विभाग ने बना ली है।

ऐसा है हाल कुम्हरखान का
700 एकड़ रकबा वाले कुम्हरखान की 50 फ़ीसदी फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। खेतों में भरा पानी निकालने के बाद जो तस्वीर आ रही है उसके बाद खरीफ की इस महत्वपूर्ण फसल से कोई उम्मीद नहीं है। जो फसल बच गई है उनसे भी कोई आस नहीं है क्योंकि जलभराव की निकासी अब भी समस्या बनी हुई है इसलिए गिरदावरी के काम में लगी टीम ने इस काम को 20 सितंबर के बाद करने का फैसला लिया है जिसके बाद ही नुकसान की सही स्थिति की जानकारी मिल सकेगी।

“बाढ़ प्रभावित गांव के किसान फिलहाल 15 अक्टूबर तक का इंतजार करें। तैयारी रखे रबी सत्र में ली जाने वाली फसलों की। इसमें तिवरा, बटरी, अंकरी, मूंग उड़द सरसों सोयाबीन मुख्य है। परहेज करें धान की बोनी से क्योंकि यह व्यापक नुकसान पहुंचा सकता है।”
डॉ ए के सरावगी

प्रोफेसर एंड हेड जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

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