ओड़िशा/भुवनेश्वर- सुनने में यह अजीब लगे पर घटना सौ फीसदी सही है. एक परिवार ने अपने दुधमुंहे बच्चे की शादी कुतिया से करायी, वो भी चुपचाप नहीं, समारोह आयोजित करके. परंपरागत शादियों की तरह इसकी रस्म अदायगी हुई और पूरे प्रोग्राम की वीडियो रिकॉर्डिंग भी हुई. यह हुआ ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक गांव में और दिन के उजाले में. मयूरभंज जिले के आदिवासियों में एक खास प्रथा अभी भी चलन में है. जब किसी बच्चे के सात महीने के अंदर दांत निकलते हैं और दो दांत ऊपर नीचे दिखते हैं तो इसे बड़ा अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि यदि बच्चे की शादी कुतिया के करा दी जाए तो संकट को टाला जा सकता है. जिले के सुक्रूली प्रखंड के गम्भरिया गांव में जब एक बच्चे के ऐसे ही दांत निकले तो उसके परिजनों ने कुतिया से शादी की रस्म विधि-विधान से पूरी करायी. बच्चे के पिता ने कहा- हमने अपनी परंपरा के तहत अनहोनी से बचने के लिए अपने बेटे की कुतिया से शादी करायी. हमारे समाज की यह पुरानी परंपरा है और हमें इसका पालन करना चाहिए.

कैसे करायी जाती है शादी
अबोध बच्चे की शादी के लिए आदिवासी समाज अपनी परंपरा के तहत सारे उपक्रम करता है. बच्चे को दूल्हे की तरह तैयार कराया जाता है और कुत्ते को भी नये कपड़े पहनाकर, सजाकर-संवारकर तैयार किया जाता है. फिर गाजे-बाजे के साथ नृत्य करते हुए आदिवासी समाज के लोग बारात निकालते हैं. एक सार्वजनिक जगह पर घर-परिवार और रिश्तेदारों की मौजूदगी में पूजा-पाठ के पश्चात शादी की रस्म पूरी करायी जाती है. मां-पिता दोनों को अपनी गोद में बिठाकर रस्में पूरी कराते हैं. परंपरानुसार लड़के की शादी कुतिया से और लड़की की शादी कुत्ते से करायी जाती है.

अंधविश्वास से जुड़ी है परंपरा
मानवाधिकार कार्यकर्ता अभिजीत मोहंती इसे अंधविश्वास मानते हैं और इससे मुक्ति के लिए आदिवासी समाज के अंदर जागरुकता अभियान चलाने जाने पर जो देते हैं. मयूरभंज के एसपी स्मित परमार कहते हैं कि उनके संज्ञान में भी यह मामला आया है. उन्होंने संबंधित थाने के एसएचओ से रिपोर्ट तलब की है. यदि इस तरह का अंधविश्वास आदिवासी समाज में कायम है तो उसे दूर करने के लिए जिला प्रशासन और दूसरी संस्थाओं को आगे आकर पहल करनी चाहिए.

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