भाटापारा- स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे छात्र छात्राओं के लिए खुशखबरी। कॉपियों की खरीदी पर उतने ही पैसे खर्च करने होंगे जितना बीते शिक्षा सत्र के दौरान खर्च किया था। कोरोना और लॉकडाउन के बाद तेजी से सामान्य होती परिस्थितियों के बीच अब कागज उत्पादन यूनिटों ने उत्पादन बढ़ाना चालू कर दिया है। इसका असर कॉपियों की स्थिर कीमतों के रूप में सामने आ चुका है।
स्कूल और स्कूली छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी राहत। कॉपियों सहित कागज से बनी दूसरी शैक्षणिक सामग्रियों की कीमतें पूर्ववत की बनी हुई है। तेजी के संकेत इसलिए दिखाई नहीं देते क्योंकि बंद कागज की मिलों में भरपूर उत्पादन हो रहा है। इसके असर से कॉपी की कीमत अपने पूर्व के स्तर पर आ चुकी है। बाजार में उठाव तो नहीं है लेकिन स्टॉकिस्टों की खरीदी निकल चुकी है।

होलसेल मार्केट में स्टॉक
कोरोना कॉल में लॉकडाउन की स्थिति के दौरान कागज मिलों में कच्चे माल की उपलब्धता भरपूर थी लेकिन स्थितियां बदलते ही यूनिट में उत्पादन बंद करना पड़ा। लगभग 1 साल के बाद अब यूनिटों में लगा ताला खुल गया है और उत्पादन भी भरपूर होने लगा है। इसकी वजह से बाजार में मांग के अनुरूप कॉपियों की पहुंच भरपूर होने लगी है। रिटेल मार्केट नें तो जोर नहीं पकड़ा है लेकिन होलसेल मार्केट में स्टॉकिस्टों की खरीदी चालू हो चुकी है।

रिटेल मार्केट स्थिर
स्कूलों में ताला लगा हुआ है। ऑफलाइन पढ़ाई के बाद चिल्हर बाजार में उठाव नहीं है लिहाजा कीमतों में कहीं भी तेजी के ना तो आसार बन रहे हैं ना कीमतें बढ़ाई गई है। इसलिए नए सत्र की तैयारी कर रही स्कूलों और छात्र- छात्राओं को कॉपियों की खरीदी पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। स्टेशनरी दुकानें पहुंच रहे पालकों और छात्र-छात्राओं को भी कॉपियों की कीमतों के नहीं बढ़ने की जानकारी दी जा रही है ताकि खरीदी की जा सके।

इस कीमत पर कॉपियां
सबसे ज्यादा मांग में रहने वाली 100 और डेढ़ सौ पेज की कॉपियों की कीमत क्रमशः 15 और 20 रुपए पर स्थिर है तो 56 पेज की कॉपियों की खरीदी किए जाने पर मात्र 10 रुपए ही देने होंगे। जबकि 200 पेज की कॉपियां खरीदने के लिए महज 30 रुपए ही लगेंगे। मांग में कम रहने वाली 300 पेज की कॉपी की कीमत पूर्ववत याने 40 रुपए पर ही स्थिर है। यानी स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे छात्र-छात्राओं को कॉपी की स्थिर कीमत राहत दे सकती है।