रायपुर/बिलासपुर- मशरूम उत्पादकों के लिए खुशखबरी। एक ऐसी प्रजाति आ चुकी है जिसके लिए सबसे कम देखरेख और सबसे कम संसाधन की जरूरत पड़ती है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी फसल हवादार कमरे या बाहर शेड वाले बरामदे में भी ली जा सकती है सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके विक्रय करने पर सबसे ज्यादा पैसे मिलेंगे क्योंकि अब तक उपलब्ध खाने योग्य मशरूम में सबसे ज्यादा स्वादिष्ट माना गया है।
इस मशरूम का नाम है “पैडीस्ट्रॉ मशरूम”। मुख्यतः समुद्र के तटीय इलाकों में इसकी व्यवसायिक खेती की जाती रही है ।कई अनुसंधान के बाद अब इसे अपने छत्तीसगढ़ के हर जिले के मौसम के अनुरूप बनाया जा चुका है। अब इसके बीज खुले बाजार में उपलब्ध होने लगे हैं। संसाधन की दृष्टि से “पैडीस्ट्रॉ मशरूम” की ऐसी प्रजाति है जिसे सबसे कम संसाधन की जरूरत पड़ती है और इसे किसी भी जगह फसल के रूप में लिया जा सकता है। इसे ज्यादा देखरेख की आवश्यकता नहीं पड़ती। बस बीज और जरूरत के अनुपात में पैरा और थोड़ी मात्रा में चना का बेसन। बस कुछ और नहीं।

क्या है पैडीस्ट्रॉ खुंबी
समुद्री तटों के इलाके बहुतायत के साथ ली जाने वाली पैडीस्ट्रॉ खुंबी, मशरूम की वह तीसरी प्रजाति है जिसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है। बटन और ऑयस्टर मशरूम के बाद मशरूम की इस तीसरी प्रजाति की विशेषता यह है कि इसे पूरे साल फसल के रूप में ली जा सकती है। धान पुआल याने धान का पैरा वह भी बिना कटा हुआ इसके लिए सबसे पहला और अंतिम संसाधन है। इसके सिवाय बोनी के समय केवल थोड़ी मात्रा चना बेसन की लगती है। जिसे बीज के ऊपर डाला जाता है। बोनी के दूसरे पखवाड़े की शुरूआत में इसका उपयोग किया जा सकता है।

आया बोनी का समय
“पैडीस्ट्रॉ मशरूम” की फसल के लिए मई मध्य से लेकर सितंबर मध्य तक का समय सर्वोत्तम माना गया है। खुली हवादार जगह, कमरा या शेड के नीचे पैरा के गट्ठरों को अकेले या कपास के कचरा के साथ मिलाकर पानी से भरी टंकी में डूबा दिया जाता है। इसे 16 घंटे के बाद निकाल कर फर्श पर फैला दिया जाता है ताकि पानी की मात्रा निकल कर अलग हो जाए। इसके बाद इसे एक कमरे में बांस या एंगल से बनी रेक में 45 से 50 सेंटीमीटर के अंतर में चार खंड में इस भीगे हुए पैरा को कंपोस्ट खाद का छिड़काव के बाद इसके बीज की बोनी करें। ध्यान रखें कि बीज के ऊपर थोड़ी मात्रा में चना का बेसन डाला जाता है जो इसके अंकुरण में मदद करेगा।

देखभाल और कटाई
बोनी के साथ आठ दिन बाद अंकुरण का फैलाव नजर आने लगता है। इसके पूर्व प्लास्टिक की सीट का डाला जाना जरूरी माना गया है क्योंकि यह नमी की जरूरी मात्रा तापमान 32 से 36 डिग्री सेल्सियस को बनाए रखता है। बोनी के 8 दिन बाद पैड़ीस्ट्रॉ मशरूम नजर आने लगता है। ऊपरी सिरा जिसे वोल्वा कहा जाता है, के फटने के 18 दिन बाद इसको कटाई की जा सकती है। अनुसंधान में खुलासा हुआ है कि 100 किलोग्राम पैरा से 12 से 13 किलो पैडीस्ट्रॉ मशरूम हासिल किया जा सकता है। खुले बाजार में फिलहाल इसकी उपलब्धता 300 से 400 रुपए किलो की दर पर हो पा रही है।