नई दिल्ली- भारतीय वायुसेना में शामिल हुये पाँच राफेल लड़ाकू विमानों ने सोमवार की रात को हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर उड़ान भरकर अभ्यास किया. बताया जा रहा है कि इन लड़ाकू विमानों से अभ्यास इसलिए किया जा रहा है, ताकि जरूरत पडऩे पर ये लद्दाख में वास्तवित नियंत्रण रेखा पर एयर-टु-एयर मिसाइल और एयर टु ग्राउंड मिसाइलों के साथ दुश्मन को तबाह कर सकें.
गौरतलब है कि भारत की धरती पर 29 जुलाई को उतरे राफेल लड़ाकू विमान इन दिनों अंबाला एयरबेस पर किसी भी ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं. अगले साल तक मिलने वाले सभी 36 राफेल में से 18 अंबाला तो 18 राफेल जेट भूटान सीमा पर हासिमारा एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे.
राफेल जेट के हिमाचल के आसमान में प्रैक्टिस के बारे में जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि अभी इन विमानों को एलएसी से दूर रखा जा रहा है, ताकि अक्साई चीन में तैनात पीएलए के रडार इसके फ्रीक्वेंसी सिग्नेंचर को ना पहचान सकें. क्योंकि खराब स्थिति में वे इनका इस्तेमाल जैम करने के लिए भी कर सकते हैं.
वहीं मिलिट्री एविएशन के एक्सपर्ट बताते हैं कि राफेल में खूबी है कि वह सिग्नल फ्रिक्वेंसी को बदल सकता है. अगर हिमाचल में राफेल को प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है तो इसकी सिग्नल फ्रिक्वेंसी को बदलकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि बेहतर और सटीक सूचना हासिल करने के लिए पीएलए ने अपने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस रडार्स अक्साई चीन के पहाड़ों पर लगा रखे हैं. पीएलए के एयरक्राफ्ट डिटेक्शन रडार काफी बेहतर हैं, क्योंकि उन्हें अमेरिकी एयरफोर्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
भारत को मिले राफेल की खासियत है कि लड़ाकू विमान एयर-टु-एयर मिटियोर मिसाइल, एमआईसीए मल्टी मिशन एयर टु एयर मिसाइल और क्रूज मिसाइलों से लैस हैं. इसमें लगी आधुनिक तकनीक पायलट को दूर से ही हमले की जानकारी दे देती हैं. मिटियोर मिसाइलें का नो-एस्केप जोन मौजूदा मीडियम रेंज एयर-टु-एयर मिसाइलों से तीन गुना अधिक है. ये मिसाइलें 120 किलोमीटर तक टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती हैं.