पटना- बिहार की राजधानी पटना से सटे एक गांव में 55 वर्षीय महेश यादव का शव लेकर ग्रामीण बैंक पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने मृतक के खाते में जमा 1 लाख 18 हजार रुपए निकालने की बात की। दरअसल मृतक का कोई नॉमिनी नहीं है और उसके अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को पैसे की जरूरत थी। उन्होंने सोचा कि मृतक के जमा पैसे से ही उसका अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से कर दिया जाए। इस दौरान उन्होंने बैंक में मृतक का शव रखकर घंटों बहस की। बैंक में शव आने से कर्मचारी सकते में पड़ गए और वहां तीन घंटे तक काम बाधित रहा। आखिरकार बैंक मैनेजर ने अपनी जेब से 10 हजार रुपए अंतिम संस्कार के लिए दिए। शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के गांव सिगरियावां के रहने वाले महेश यादव की मौत मंगलवार को हो गई। उनके परिवार में और कोई नहीं है। ऐसे में उनके शव को अर्थी पर लिटाकर ग्रामीण पास स्थित कैनरा बैंक की शाखा में पहुंच गए। यहां महेश का खाता है जिसमें एक लाख 18 हजार रुपए जमा हैं। ग्रामीणों ने बैंक में अर्थी रखकर पैसे की मांग की। करीब तीन घंटे तक ये ड्रामा चलता रहा। इस दौरान बैंक में पहुंचे बाकी लोग ये मंजर देख वहां से चले गए। कर्मचारी भी ये सब देख सकते में आ गए। बैंक मैनेजर का कहना था कि उनका कोई नॉमिनी नहीं है। खाते की केवायसी भी नहीं हुई है। बैंक मैनेजर संजीव कुमार का तर्क था कि उनका डेथ सर्टिफिकेट आ जाने के बाद उनके क्लेमर को पैसे दे दिए जाएंगे। फिर भी ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे। उनका तर्क था कि जिसका पैसा है उसके अंतिम संस्कार के भी काम नहीं आ सकता तो बैंक में रखने का फायदा क्या है। आखिरकार मैनेजर ने अपनी जेब से ग्रामीणों को 10 हजार रुपए दिए तब जाकर वे शव लेकर वहां से गए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here